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इंडिया न्यूज (Netherlands Took Steps For The Elderly)
ये तो सभी जानते हैं कि व्यक्ति बच्चे को पालने में तो जी जान लगा देता है परंतु घर के बुजुर्गों की देखभाल की तरफ उसका ध्यान कम ही जाता है। क्योंकि इस भागदौड़ की जिंदगी में किसी के पास इतना समय ही नहीं होता है कि वो घर के हर सदस्य पर ध्यान दे पाएं। इन्हीं सब बातों को देखते हुए नीदरलैंड्स सरकार बुजुर्गों की देखभाल को आसान और कम खचीर्ला बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंजेटलीजेंस (एआई) मॉडल पर काम कर रही है। बता दें एयरबैग लगे बेल्ट और स्मार्ट फ्लोर नाम के गैजेट्स का इस्तेमाल किया जाएगा। यह गैजेट जिसके साथ होता है अगर वह गिरने वाला हो तो यह डिवाइस बता देता कि वह गिरने वाला है। तो चलिए जानेंगे कैसे बुजुर्ग कर सकेंगे अपनी देखभाल।
दरअसल नीदरलैंड्स बुजुर्गों की केयर के लिए पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 में नीदरलैंड्स सरकार ने देश की जीडीपी का 4 प्रतिशत और डेनमार्क ने 3.5 पर्सेंट हिस्सा सीनियर सिटिजंस की देखभाल पर खर्च किया था। इस राशि के 2050 तक डबल होने का अनुमान है। ऐसे में सरकार न सिर्फ इसे कंट्रोल करना चाहती है। बल्कि दूसरी और सबसे बड़ी वजह बुजुर्गों की देखभाल करने वालों का भी बुजुर्ग होना है।
बता दें नीदरलैंड्स सरकार ने एयरबैग लगे हुए बेल्ट और स्मार्ट फ्लोर जैसे गैजेट्स इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। इसके जरिए पता लगता है कि व्यक्ति जमीन पर गिरने वाला है। ऐसे में हिप फ्रैक्चर होने की आशंका 70फीसदी तक कम हो जाती है। डेनमार्क में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुए बुजुर्गों को अपने रोजमर्रा के काम वापस शुरू करने की ट्रेनिंग देने जैसी बातें शामिल हैं। इसमें नर्सों के साथ वीडियो कॉल करना शामिल है। जिससे कि किसी भी इमरजेंसी में बुजुर्ग खुद ही मेडिकल परामर्श ले सकेंगे, जिससे देखभाल करने वाले कर्मचारी की संख्या 40फीसदी कम हो सकती है।
नीदरलैंड्स सरकार के आंकड़ों मुताबिक 2040 तक देश में 75 साल या इससे अधिक उम्र वालों की संख्या 25 लाख तक पहुंच जाएगी। उम्र केवल बुजुर्गों की ही नहीं बढ़ रही। बल्कि इनकी देखभाल करने वालों की भी बढ़ रही है। ऐसे में वह इनका ख्याल ठीक से नहीं रख पा रहे हैं। ऐसे में बुजुर्गों की ज्यादा केयर की जरूरत है। नीदरलैंड्स की खेलमंत्री कोनी हेल्डर का कहना है कि बुजुर्गों को अपनी देखभाल के लिए खुद पर निर्भर होना पड़ेगा।
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