इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) :कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों से खिन्न नजर आए। उनके प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ प्रदेश अध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ नेता होते हैं, लेकिन जब वे राज्यों में कांगेस प्रतिनिधियों से मिलने जा रहे हैं तो बड़े नेता उनसे किनारा कर लेते हैं।
शशि थरूर का कहना है कि कांग्रेस को समावेशी कार्यकर्ता की व्यापक भागीदारी व कांग्रेस के मूल सिद्धांत पर चलने वाला संगठन बनाने की जरूरत है। थरूर ने कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व अपनाने की जरूरत को भी नकारा है।
थरूर का कहना है कि कांग्रेस को समावेशी, कार्यकर्ता की व्यापक भागीदारी व कांग्रेस के मूल सिद्धांत पर चलने वाला संगठन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व अपनाने की जरूरत को भी नकारा है। थरूर ने राजस्थान कांग्रेस में बगावत के बारे में कहा कि नेताओं को अधिकार दिए जाते हैं तो उन पर एक जिम्मेदारी भी आती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ऐसी बयानबाजी करें जिससे विरोधी दल भाजपा को लाभ हो, ऐसा नहीं होना चाहिए।
अध्यक्ष के चुनाव के बाद जी 23 समूह के नेताओं की रणनीति के बारे में थरूर ने कहा कि यह कोई संगठन नहीं था, कोरोना के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष तक अपनी बात पहुंचाने की भावना से करीब सौ नेता सहमत थे, जिनमें से 23 नेताओं ने दस्तखत कर पत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा। थरूर का दावा है कि उन्होंने इन 23 नेताओं को कभी एक कमरे में बैठे नहीं देखा।
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