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Navratri Kanya Pujan 2021 कन्या पूजन नवरात्र के किसी भी दिन किया जा सकता है लकिन अधिकतर लोग अष्टमी व नवमी को कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ दिन मानते हैं। इस दिन ही लोग उद्यापन करते है। शास्त्रों के अनुसार बिना उद्यापन किए नवरात्रि व्रत पूरा नहीं माना जाता है।
हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व का खास महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आखरी दिन यानी नवमी के दिन हवन और कन्या पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है।
माता रानी का स्वरूप माने जाने वाली कन्याओं की पूजा के बिना नौ दिन की शक्ति पूजा अधूरी मानी जाती है क्योंकि मां हवन, तप और दान से इतनी प्रसन्न नहीं होती, जितनी कन्या पूजन से होती हैं। लेकिन ध्यान रहे कन्या पूजन के कुछ नियम भी होते हैं, जिनका ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। अगर आप भी कन्या भोज कराने जा रहे हैं तो जानिए कुछ आवश्यक बातें और नियम।
कन्या पूजन करने से मां भगवती की कृपा प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि इनमें आदि शक्ति का वास होता है। कन्या पूजन के दौरान ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र दो से 10 साल की उम्र के बीच होनी चाहिए। इसके साथ ही एक बालक को जरूर आमंत्रित करें क्योंकि यह बालक बटुक भैरव और लागूंरा का रूप माना जाता है।
सबसे पहले कन्याओं को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करें।
कन्याओं के आने के बाद सबसे पहले उनके पैर धोएं और इसके बाद उनके पैर साफ करके उनको आसान पर बैठाएं।
इसके बाद आरती को थाली में कुमकुम, चावल, फूल, रक्षासूत्र और दीपक रखें।
सभी कन्याओं को कुमकुम लगाएं और उनके हाथ पर रक्षासूत्र बांधें। सभी कन्याओं की आरती उतारने के बाद उन्हें भोजन परोसे।
भोजन में पूरी, खीर, हलवा, काले चने की सब्जी परोसें।
कन्याओं को दक्षिणा और कोई अन्य चीजे भेट में दें।
अंत में उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें।
इस बार भी कोरोना के बीच कन्या पूजन किया जाएगा। अगर आप बाहर से कन्याओं को अपने घर में आमंत्रित नहीं करना चाहते तो घर की बेटी-भतीजी और अन्य कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए। पूजन से पहले इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि मैं अपनी पुत्रियों को ही देवी का स्वरूप मानकर पूजन करता या करती हूं।
(Navratri Kanya Pujan 2021)
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