संबंधित खबरें
बढ़ते प्रदूषण की वजह से Delhi NCR के स्कूल चलेंगे हाइब्रिड मोड पर, SC ने नियमों में ढील देने से कर दिया इनकार
केंद्रीय मंत्रिमंडल के इन फैसलों से आपके जीवन में आने वाला है ये बड़ा बदलाव, जान लीजिए वरना कहीं पछताना न पड़ जाए
BJP से आए इस नेता ने महाराष्ट्र में कांग्रेस का किया ‘बेड़ा गर्क’, इनकी वजह से पार्टी छोड़ गए कई दिग्गज नेता, आखिर कैसे बन गए राहुल के खास?
दिसंबर में इतने दिन बंद रहेंगे बैंक, जाने से पहले एक बार चेक कर लीजिए, वरना…
'नेताओं के जाल में…', संभल में सीने पर पत्थर खाकर SP मुसलमानों से करते रहे अपील, Video देखकर सैल्यूट करने को खुद उठ जाएगा हाथ
'गोलीबारी नहीं, हत्या है', संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
India News(इंडिया न्यूज़), Delhi: केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच विवाद लगातार बढ़ता हीं जा रहा है। जिसके बाद अब दिल्ली(Delhi) के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के 400 कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है। इनमें फेलो, एसोसिएट फेलो, सलाहकार और उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रहे कर्मचारी शामिल है। बता दें कि, दिल्ली सरकार ने इन्हें अपने विभिन्न विभागों, एजेंसियों में सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी और परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया था।
वहीं कर्मियों को पद से हटाने के बाद उपराज्पाल के द्वारा जारी बयान में कहा गया कि, इन कर्मीयों को गैर-पारदर्शी तरीके से और सक्षम प्राधिकारी की अनिवार्य मंजूरी के बिना नियुक्ति दी गई थी। इन कर्मियों की नियुक्तियों में डीओपीटी द्वारा निर्धारित एससी, एसटी, ओबीसी उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य आरक्षण नीति का भी पालन नहीं किया गया। वहीं इसकी जांच में सेवा विभाग ने पाया कि, ऐसे कई कर्मी पदों के लिए जारी विज्ञापनों में निर्धारित पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करते हैं। जिसकी जानकारी देते हुए एकअधिकारी ने बताया कि, संबंधित प्रशासनिक विभागों ने भी इन कर्मियों द्वारा प्रस्तुत कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों की सत्यता को सत्यापित नहीं किया, जो कई मामलों में हेराफेरी तक हुई है। इस जांच के बाद सेवा विभाग ने इन्हें हटाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उपराज्यपाल ने स्वीकार कर लिया। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि यदि कोई प्रशासनिक विभाग इनमें से किसी की सेवा को जारी रखना चाहता है तो नियम के तहत प्रस्ताव भेजा जाए।
पीएसयू से मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, इसमें नियमों का पालन नहीं हुआ। इन कर्मियों को नियुक्त करने से पहले सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ली। वहीं सेवा विभाग ने जांच में ये भी पाया कि, पुरातत्व, पर्यावरण, दिल्ली अभिलेखागार, महिला एवं बाल विकास और उद्योग के पांच विभागों में 69 कर्मी बिना मंजूरी के कार्यरत थे। इसके अलावा 13 बोर्ड, स्वायत्त निकाय में 155 कर्मी कार्यरत थे। दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (DARC) जिसका अर्थ है डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ऑफ दिल्ली में 187 कर्मियों की नियुक्ति के बारे में जानकारी नहीं थी।
बता दें कि, 400 कर्मियों को पदों से हटाने के उपराज्यपाल के इस फैसले के बाद दिल्ली(Delhi) सरकार ने इसे गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि, इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वहीं दिल्ली सरकार का ये भी कहना है कि, उपराज्यपाल के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है। वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य दिल्ली सरकार को पंगु बनाना हैं। ये फेलो आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, एनएएलएसएआर, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, कैम्ब्रिज जैसे शीर्ष कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से थे और विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट काम कर रहे थे। इन सभी को उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक मानदंडों का पालन करते हुए काम पर रखा गया था। इन्हें दिल्ली सरकार के साथ जुड़ने के कारण हटाया गया। फैसला लेने से पहले एक भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया, किसी भी स्तर पर कोई स्पष्टीकरण या स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया। इस असंवैधानिक फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी।
ये भी पढ़े
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.