संबंधित खबरें
कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं उमर अब्दुल्ला? पिछले कुछ समय से मिल रहे संकेत, पूरा मामला जान अपना सिर नोंचने लगेंगे राहुल गांधी
खतरा! अगर आपको भी आया है E-Pan Card डाउनलोड करने वाला ईमेल? तो गलती से ना करें क्लिक वरना…
मिल गया जयपुर गैस टैंकर हादसे का हैवान? जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पुलिस रह गई हैरान
भारत बनाने जा रहा ऐसा हथियार, धूल फांकता नजर आएगा चीन-पाकिस्तान, PM Modi के इस मास्टर स्ट्रोक से थर-थर कांपने लगे Yunus
‘जर्सी नंबर 99 की कमी खलेगी…’, अश्विन के सन्यास से चौंक गए PM Modi, कह दी ये बड़ी बात, क्रिकेट प्रशसंक भी रह गए हैरान
महाराष्ट्र फतह के बाद फिर से चुनावी तैयारी में जुटे Fadnavis, शरद पवार ने सीधे CM को कर दिया कॉल, राज्य की राजनीति में अभी नहीं थमा है तूफान
India News (इंडिया न्यूज़), Independence Day 2023: 76 साल के हम आज़ाद भारत के लोग। 76 साल की आज़ादी में क्या भूलूं, क्या याद करूं। शटर वाले टीवी से LED तक, लैंडलाइन फ़ोन से लेकर 70 मेगापिक्सल के कैमरा वाले मोबाइल फ़ोन तक, क्या भूलूं, क्या याद करूं। 1947 से 2023 तक, आज़ादी के 76 सालों में हमारी आबादी 140 करोड़ की है। भारत की GDP 3 लाख करोड़ से 150 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की हो गई है। पेट्रोल की क़ीमत 27 पैसे से 97 रुपये के पार आ गई है। जब मुल्क़ आज़ाद हुआ उस वक़्त आम आदमी की कमाई सालाना 275 रुपए थी। आज प्रति व्यक्ति औसत आय 1.60 लाख रुपए के आसपास है। जानते हैं, आज़ादी के अगले दशक यानि 1950 की शुरुआत में भारत में सिर्फ 3.02 लाख गाड़ियां थीं। लेकिन अभी देश में रजिस्टर्ड गाड़ियों की तादाद 30 करोड़ के पार है। 1949 तक देश में 1.40 लाख प्राइमरी और 12,693 मिडिल और हाई स्कूल थे, आज देश में 15 लाख से ज्यादा स्कूल हैं।
आकंड़ों से निकल कर अब यादों की बात करें तो, हम बच्चे थे, स्कूल में 15 अगस्त का मतलब-लड्डू मिलेगा। थोड़े समझदार हुए तो तिरंगे को सलाम करना सिखाया। बड़े हुए तो देशभक्ति का जज़्बा आया। आज़ादी की सालगिरह को हमने जिया है, गली मुहल्ले में लगे लाउडस्पीकर पर जोशीले बजते देशभक्ति के तराने, लहराता फहराता तिरंगा, छोटे शहरों में सड़क किनारे पड़ा सफेद चूना। आज़ादी के साल बढ़ते गए, एक-एक याद जुड़ती गई। साल 1988 का था, 15 अगस्त से एक दिन पहले घर पर लैंडलाइन फ़ोन कनेक्शन लगा था, काला चमचमाता फोन सेट, ठक रिसीवर रखने की आवाज़, क्या शानदार अनुभव था। आज बच्चा डेढ़ साल का हुआ नहीं कि मां हाथ में इसलिए मोबाइल फ़ोन पकड़ा देती है कि वो रोना तो बंद रखे।
मुझे आज भी याद है 1988 का साल, हमारे पिता ने मां से वादा किया था अगस्त में सोने का एक छोटा आभूषण दिलाने का। 10 ग्राम सोने की क़ीमत 1988 में 3000 रुपए के आसपास थी, आज 60 हज़ार के पार है। जानते हैं, आज जिस 10 ग्राम सोने की क़ीमत 60 हज़ार के पार है, सन् 1947 में वही 10 ग्राम सोना 89 रुपए में मिलता था। 80 के दशक का अंत आते आते घर में वीसीआर आ चुका था, चमचमाती रील वाले VHS कैसेट का दौर था, हेड पर कार्बन आ जाए तो सफ़ेद पेपर लगा कर साफ़ कर लेते थे। कौन भूल सकता है ऑडियो कैसेट का वो दौर, साइड A के ख़त्म होने का इंतज़ार और साइड B पलटने को दिल बेकरार।
अरे हां, 80 और 90 के दशक में आज़ादी की हर सालगिरह दूरदर्शन से चिपका कर रखती थी। शटर वाला टीवी वो भी ब्लैक एंड व्हाइट, लेकिन देखने वाली आंखें तब भी सतरंगी हुआ करती थीं। जसदेव सिंह की आवाज़ में ‘लाल क़िले की प्राचीर से’ वाली टीवी कमेंट्री जज़्बा भर दिया करती थी। राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, पी. वी. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, एच. डी. देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी- ये वो प्रधानमंत्री हैं। जिनके लाल क़िले से भाषण हमने जज़्बे और जज़्बात से सुने हैं।
आज़ादी के 76 सालों में भारत ने कई उतार-चढ़ाव देखे, खाने की रोटी से लेकर देश का मान-मस्तक ऊंचा करने वाले आत्मनिर्भर भारत तक, भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई और बढ़ाई है। 76 साल के हिंदुस्तान ने युद्ध से लेकर कोरोना जैसी महामारी तक सबका मज़बूती के साथ सामना किया है। खेती से लेकर परमाणु और अंतरिक्ष तकनीक, स्वास्थ्य से लेकर विश्व-स्तरीय शिक्षण संस्थाओं तक, मेडिकल साइंस से लेकर आयुर्वेद तक, बायोटेक्नोलॉजी से लेकर IT तक, भारत ने चौतरफ़ा बदलाव देखा है।
साल 1947 में भारत आज़ाद हुआ, 1952 में पहले आम चुनाव हुए, 76 साल में आज भारत दुनिया का सबसे मज़बूत और बड़ा लोकतंत्र है। 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या हुई। इससे पहले महात्मा गांधी पर 6 हमले हुए थे, लेकिन जान गई नाथूराम गोडसे की तीन गोलियों से। आज बापू का भारत 76 साल का है, 76 के भारत का सीना 56 इंच का है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र का जन्म हुआ, लोकतांत्रिक गणराज्य आज 73 बरस का है। 1991 में जिस उदारवाद ने करवट ली, आज उसने भारत की इकॉनामी को 5 ट्रिलियन डॉलर का सपना दिखा दिया है।
76 साल के भारत की यादों के एक-एक पन्ने पलटने लगा तो लिखते-लिखते शायद दशक बीत जाएंगे। 76 साल की अंगड़ाई ने हिंदुस्तान को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया है। 76 साल की यह यात्रा जितनी शानदार रही, उससे कहीं ज्यादा अनगिनत लोगों का इसमें योगदान भी शामिल है। आज बिना भारत के दुनिया के सबसे अमीर देशों की बैठक पूरी नहीं होती, ये है भारत का रुतबा और इक़बाल। अमेरिका भारत की बाट जोहता है, रूस भारत में बाज़ार तलाशता है, चीन भारत से कांपता है। पाकिस्तान को भारत के सामने हैसियत का एहसास होता है। आत्मनिर्भर भारत हथियार से लेकर वैक्सीन तक ख़ुद बनाता है। भारत भाग्य विधाता है, हिंद का परचम ऊंचा है, हिंदुस्तान से आज दुनिया जहान है।
Also Read:
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.