Chandrayaan-2 mission helping to make Chandrayaan-3 successful
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Chandrayaan-3 को सफल बनाने में कैसे इसरो के वैज्ञानिकों को 'असफल हो चुके चंद्रयान-2' मिशन से मिल रही मदद?

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : August 19, 2023, 4:26 pm IST
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Chandrayaan-3 को सफल बनाने में कैसे इसरो के वैज्ञानिकों को 'असफल हो चुके चंद्रयान-2' मिशन से मिल रही मदद?

India News (इंडिया न्यूज़) Chandrayaan-3: साल 2019 में जैसे ही चंद्रयान-2 का लैंडर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था, तभी अचानक उसके सॉफ्टवेयर में खराबी होने के कारण वो क्रैश हो गया। ये अभियान असफल रहा, लेकिन चंद्रयान-3 में इस मिशन ने वैज्ञानिकों की काफी सहायता की।

इसरो ने चंद्रयान-2 में हुई अपनी गलतियों से काफी कुछ सीखा और नए यान में कई बदलाव किए और जिसको अब हम चंद्रयान-3 के नाम से जानते है । आइए विस्तार से जानते हैं कि चंद्रयान-2 के क्रैश के बाद नए चंद्रयान-3 में उसकी सफलता को मध्यनज़ररखते हुए क्या-क्या बदलाव किए गए हैं-

1. बता दे कि चंद्रयान-3 के लैंडर की संरचना में बदलाव किया गया है। इसके अलावा उसमें अतिरिक्त फ्यूल भी रखा गया है, यदि कोई आपातकालीन स्थिति घटित हो तो वो उसका प्रयोग कर सके। वहीं ज्यादा बिजली उत्पादन के लिए चंद्रयान-3 के सोलर पैनल चंद्रयान-2 की तुलना में बड़े बनाए गए हैं। सबसे अहम बात ये है कि पहले लैंडिंग एक इंजन के इस्तेमाल से की जाती थी, लेकिन अब इंजन की संख्या बढ़ाकर दो कर दी गई है।

2. वहीं सॉफ्ट लैंडिंग के लिए टचडाउन सीमा को भी बढ़ाया गया है। इसरो चीफ सोमनाथ जी का कहना है कि पिछली बार तेज रफ्तार की वजह से चंद्रयान-2 क्रैश हो गया था जिसको ध्यान में रख कर इस बार काफी बदलाव किए गए है। इस बार खास सुनिश्चित किया गया है कि 3 मीटर प्रति सेकंड की टचडाउन रफ्तार पर भी यान को कोई नुकसान ना पहुंचे।

3. पिछली बार लैंडिंग साइट को (500 x 500 मीटर) रखा गया था, जिससे यान को लैंडिंग में दिक्कत हुई थी। इस बार इसे बढ़ाकर (2.5 x 4 किमी) कर दिया गया है। ऐसे में आपातकालीन स्थिति में यान आसपास भी उतर सकता है।

4. इसरो प्रमुख के अनुसार चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बहुत अच्छे से काम कर रहा है, जो चंद्रयान-3 के लैंडर के साथ संचार का काम करेगा। इसकी सहायता से सिग्नल ग्राउंड स्टेशन तक पहुंचेगा। जिसके कारण मिशन को काफी मदद मिलेगी।

5. इसरो चीफ ने ऑन ऑर्बिट टेस्ट पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि नए मेथेड की मदद से हर चीज की जांच ऑर्बिट में ही करी जा सकती है। चंद्रयान-3 में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाने और लैंडिंग स्थल तक ले जाने की पूरी प्रक्रिया में काफी बदलाव किया गया है।

 

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