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India News (इंडिया न्यूज़),Aditya L1 Launch: सूर्य के बारे में अध्यन करने के लिए कल श्रीहरिकोटा से आदित्य L-1 को लांच किया जाएगा जो सूर्य के बारे में जानकारी देगा। जानकारी के अनुसार ये पहला ऐसा मिशन है जो सूर्य का अध्यन करेगा। बता दें चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य L1 बनाने में हरियाणा के रोहतक ने अहम भूमिका अदा की है। आदित्य L 1 में लगे 106 प्रकार के 76000 नट बोल्ट का इस्तेमाल किया गया है जो रोहतक की एलपीएस बोशार्ड कंपनी द्वारा बनाए गए हैं।
2018 से 2020 तक 12 बार इसरो के वैज्ञानिकों ने कंपनी का दौरा किया और भारी परीक्षण के बाद 76000 नोट बोल्ट की डिलीवरी की गई। एलपीएस बोशार्ड कंपनी में बने नट बोल्ट PSLV C-57 में इस्तेमाल किए जाएंगे इससे पहले चंद्रयान 3 में भी करीबन डेढ़ लाख नट बोल्ट इस्तेमाल किए गए है।
Here is the brochure: https://t.co/5tC1c7MR0u
and a few quick facts:
🔸Aditya-L1 will stay approximately 1.5 million km away from Earth, directed towards the Sun, which is about 1% of the Earth-Sun distance.
🔸The Sun is a giant sphere of gas and Aditya-L1 would study the… pic.twitter.com/N9qhBzZMMW— ISRO (@isro) September 1, 2023
1 भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष में एक के बाद एक परचम लहरा रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अब सूर्य के संबंध में अध्ययन करने वाला आदित्य L-1 2 सितंबर को लांच होने वाला है। ऐसे में देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोगों की निगाह भारत पर टिकी हुई है,लेकिन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में जहां रोहतक की एलपीएस बोशार्ड कंपनी में बने डेढ़ लाख नट बोल्ट का इस्तेमाल किया गया था उसी कड़ी में भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से एलपीएस बोशार्ड कंपनी पर भरोसा करते हुए आदित्य L 1 में इस्तेमाल होने वाले 106 प्रकार के 76000 नट बोल्ट का इस्तेमाल किया गया है। आदित्य L1 के लिए तैयार होने वाले नट बोल्ट को भारी परीक्षण के गुजारा गया है और इसरो के वैज्ञानिकों ने दो साल में लगभग 12 बार कंपनी का दौरा किया है।
वहीं दूसरी ओर एलपीएस बोशार्ड कंपनी के जनरल मैनेजर मुकेश सिंह ने बताया कि इसरो की तरफ से 2018 में उन्हें आर्डर मिला था और 2020 तक उन्होंने 106 प्रकार के 76000 नट बोल्ट तैयार किए हैं जो इसरो में भेजे हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 के लिए अभी कंपनी ने डेढ़ लाख नट बोल्ट तैयार किए थे उन्होंने बताया कि इसरो के वैज्ञानिक बड़े बड़े परीक्षण के बाद उनके ऑर्डर को पास करते हैं और कंपनी भी हर तरह की मानक का ख्याल रखकर नट बोल्ट तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें देश की सुरक्षा को लेकर भी सावधानियां बढ़ती जाते हैं।
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