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India News (इंडिया न्यूज़), Rashid Hashmi, Election 2024: सनातन पर सियासी संग्राम बढ़ने लगा है। जैसे जैसे 2024 क़रीब आएगा ‘सनातन’ का पारा बढ़ता जाएगा। सनातन धर्म ही जीवन जीने का एकमात्र आधार है, लेकिन सियासत में सनातन को सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल किया जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के बयान पर बवाल मचा हुआ है। स्टालिन के बाद उनकी ही पार्टी के नेता और तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री पोनमुडी के बयान ने सनातन पर सुलग रही सियासत में घी डाल कर और भड़का दिया है। पोनमुडी तो स्टालिन से एक क़दम आगे निकल गए हैं।
स्टालिन ने तो केवल सनातन के खात्मे की बात कही थी लेकिन पोनमुडी ने तो यहां तक कह दिया है कि I.N.D.I.A. गठबंधन सनातन की समाप्ति के लिए बना है। सनातन की लड़ाई ज़ुबान काटने पर आ गई है। अब मोदी सरकार में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सनातन धर्म का विरोध करने वालों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मैं सनातन धर्म का विरोध करने वालों को बताना चाहता हूं कि अगर वो ऐसा करेंगे तो हम उनकी जीभ खींच लेंगे और आंखें निकाल लेंगे। देश के नेताओं को इस तरह के बयानों से बाज़ आना चाहिए।
सनातन का अर्थ है जिसका ना आदि और ना अंत हो, जो शाश्वत और सत्य है। हिंदू धर्म को सनातन कहा गया है क्योंकि ये आत्मा और मोक्ष को ध्यान से जानने का मार्ग बताता है। सनातन धर्म कोई सियासी पार्टी नहीं जिसे चुनाव में जिताया या हराया जाए। डीएमके नेताओं का बयान I.N.D.I.A.के लिए सेल्फ गोल हो सकता है, तभी तो कांग्रेस, तृणमूल और आम आदमी पार्टी ने ऐसे बयानों से किनारा कर लिया है। औसत दर्जे के राजनीतिक नौसिखिएपन से विपक्ष को नुक़सान होगा। नफ़रती बयानों पर देश भर में प्रतिक्रिया हो रही है।
हिंदूवादी संगठन सड़क पर उतर आए हैं। धर्म पर अधर्मी टिप्पणी बर्दाश्त के बाहर है। उदयनिधि जैसे नेताओं को समझने की ज़रूरत है कि सी राजगोपालाचारी जैसे नेता सीएन अन्नादुरई के साथ ना जुड़ते तो आज डीएमके का अस्तित्व तक ना होता। 60 के दशक के अंत में नास्तिक द्रविड़ पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए एक ब्राह्मण और अनुभवी कांग्रेस नेता अकेले जिम्मेदार थे।
28 विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA को समझना होगा कि धर्म भारतीय जनता पार्टी की मनपसंद पिच है। आप बीजेपी की पिच पर अटैक करने की कोशिश करेंगे तो हिट विकेट होंगे। इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और 2024 में लोकसभा चुनाव भी है। सनातन के ख़िलाफ विवाद से ध्रुवीकरण बढ़ेगा, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। बौद्ध, जैन और सिख सनातन धर्म की शाखाएं हैं, इसलिए दक्षिण में चंद वोट का फ़ायदा उत्तर में I.N.D.I.A. का बड़ा नुक़सान कराएगा। पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और केरल में क्षेत्रीय दलों का राज है। ये क्षेत्रीय दल सनातन के ख़िलाफ़ नहीं जा सकते।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक में है। जहां जहां बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर है, वहां पर सनातन का अपमान कांग्रेस का नुकसान करेगा। भारतीय जनता पार्टी के पास हिंदुत्व का झंडा है, मंदिर आंदोलन का इतिहास है और हिंदुत्व के फायरब्रांड चेहरे हैं। हिंदू राष्ट्रवादी बीजेपी की सफलता की वजह है, लेकिन अब पार्टी ने मुसलमानों पर भी फोकस करना शुरु कर दिया है। पिछले बीस साल में भारतीय जनता पार्टी ने चुनावों में 5-9 प्रतिशत मुस्लिम वोट हासिल किए, जो ज्यादातर शिया मुस्लिम समुदाय से थे, सुन्नी बहुसंख्यक कांग्रेस को सपोर्ट करते रहे।
लेकिन अब भाजपा ने रणनीति बदलते हुए पसमांदा यानि पिछड़े मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की है। 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पसमांदा मुसलमानों पर फ़ोकस किया है, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के एकमात्र मुस्लिम मंत्री दानिश अंसारी भी पसमांदा समाज से आते हैं। पार्टी का मानना है कि अगर कुल मुस्लिमों में से 6 प्रतिशत वोट भी खाते में आए तो बीजेपी उस मिथक को तोड़ेगी कि मुसलमान भाजपा के साथ नहीं हैं। एक तरफ बीजेपी लकीर बड़ी कर रही है, दूसरी तरफ I.N.D.I.A. गठबंधन के सहयोगी सनातन पर संकुचित शब्दबाण चला रहे हैं। वक्त रहते डैमेज कंट्रोल नहीं हुआ तो सनातन पर विवाद I.N.D.I.A. गठबंधन को ले डूबेगा।
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