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India News (इंडिया न्यूज़), Thakur Ka Kuan: खेत ठाकुर का…कुआं ठाकुर का…, वो कविता जिसका पाठ राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज झा ने किया और फिर सियासी उफान उठ खड़ा हुआ। यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले ओम प्रकाश वाल्मीकी ने ये कविता 1981 में लिखी थी। ओम प्रकाश वाल्मिकी दलित साहित्य के लेखक थे, और अपनी रचनाओं में जातिवाद के दंश को प्रमुखता से रखते थे। ठाकुर का कुआं उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में एक है।
आज इसी कविता पर संग्राम छिड़ा है। राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान आरजेडी सांसद मनोज झा ने इस कविता का पाठ किया। बिहार में अब मनोज झा की इसी कविता पाठ पर ठाकुर और ब्राह्मणों में तलवारें खिंच गई हैं। दिल्ली से बिहार तक मनोज झा के खिलाफ सबसे पहले मोर्चा आरजेडी के ही विधायक चेतन आनंद ने खोला।
चेतन आनंद बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे हैं। यानी पार्टी के अंदर ही ठाकुर बनाम ब्राह्मण की जंग तेज हो गई। कहां मोदी के खिलाफ 2024 में विपक्षी एकता की I.N.D.I.A. गठबंधन की नींव पड़ चुकी है, और कहां पार्टी के अंदर ही घमासान मच गया है।
बीजेपी के ठाकुर विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा कि अगर मनोज झा ने उनके सामने कविता सुनाई होती तो वो उनका मुंह तोड़ देते। पूर्व सांसद आनंद मोहन कहते हैं कि वो होते तो मनोज झा की जुबान खींच लेते। आरोप लग रहे हैं कि आरजेडी की ओर ऐसे बयान ध्रुवीकरण को बनाए रखने के लिए जान-बूझकर दिए जाते हैं ताकि सियासी रोटी सेंकी जा सके।
सवाल है कि मनोज झा के दिए बयान के हफ्ते भर बाद ये मामला तूल क्यों पकड़ा? अगर मनोज झा का बयान विवादास्पद था तो फिर प्रतिक्रिया भी बयान के तुरंत बाद ही होनी चाहिए थी। अब मनोज झा के समर्थन में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव उतर आए हैं। यानी ये बहस अभी जारी रहेगी, कम से कम चुनाव तक इस मुद्दे के बने रहने की उम्मीद तो है। धर्म और जाति की राजनीति तो होती रही है, बिहार और यूपी में तो कुछ ज्यादा ही। तो क्या 2024 के लिए जाति की पटकथा लिखी जा रही है?
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