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India News (इंडिया न्यूज),Parliament Security Breach: संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपियों को बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत 1 मार्च तक बढ़ा दी। हालांकि, इस दौरान आरोपियों ने दिल्ली पुलिस की हिरासत में टॉर्चर करने के गंभीर आरोप लगाए।
दरअसल, पिछले साल 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोप में दर्ज यूएपीए मामले में गिरफ्तार आरोपियों ने पटियाला हाउस कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष पेशी के दौरान दावा किया था कि उन्हें प्रताड़ित किया गया था। उन्होंने कहा कि अपराध के लिए राजनीतिक दलों के साथ उनके कथित संबंधों को कबूल करने के लिए उनसे कोरे कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और बिजली के झटके दिए गए।
मामले में गिरफ्तार छह आरोपियों में से पांच सागर शर्मा, मनोरंजन डी, ललित झा, महेश कुमावत और अमोल शिंदे ने एक आवेदन में यह दलील दी। आवेदन में कहा गया है कि आरोपियों को सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल और फोन के लिए अपने पासवर्ड बताने के लिए मजबूर किया गया था। पॉलीग्राफ या नार्को परीक्षण करने वालों ने आरोपियों पर उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में एक राजनीतिक दल या नेता का नाम लेने का दबाव डाला।
कोर्ट ने आरोपियों की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब दाखिल करने को कहा है, मामले में आगे की सुनवाई 17 फरवरी को होगी। बता दें कि पिछले साल 13 दिसंबर को संसद पर हुए आतंकी हमले की बरसी पर 2001, एक बार फिर संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश की गई। दो आरोपी, सागर शर्मा और मनोरंजन डी, लोकसभा की दर्शक दीर्घा से संसद भवन में कूद गए थे और नारे लगाते हुए पीली गैस छोड़ने वाले पटाखों (कनस्तरों) का इस्तेमाल किया था।
इस बीच संसद भवन के बाहर दो आरोपियों अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने ऐसे ही कनस्तरों से रंगीन गैस का छिड़काव किया और नारे लगाए। बाद में पुलिस ने इस मामले में दो और आरोपियों ललित झा और महेश कुमावत को भी गिरफ्तार कर लिया।
पिछले दिनों कोर्ट ने आरोपी नीलम आजाद की ओर से दाखिल जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इससे पहले कोर्ट ने नीलम आजाद की मांग पर दिल्ली पुलिस को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, बाद में दिल्ली पुलिस ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां अदालत ने आदेश पर रोक लगा दी।
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