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Hazratbal Dargah: पीएम मोदी जाएंगे हजरतबल दरगाह, जानिए इसका इतिहास और महत्व

PUBLISHED BY: Rajesh kumar • LAST UPDATED : March 7, 2024, 10:08 am IST
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Hazratbal Dargah: पीएम मोदी जाएंगे हजरतबल दरगाह, जानिए इसका इतिहास और महत्व

Kashmir Hazratbal darhah

India News(इंडिया न्यूज),Kashmir Hazratbal darhah: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस भी धार्मिक स्थल पर जाते हैं, वह लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन जाता है। आज पीएम नरेंद्र मोदी अपने कश्मीर दौरे के दौरान हजरतबल श्राइन परियोजना और सोनमर्ग स्की ड्रैग लिफ्ट के एकीकृत विकास का उद्घाटन करने के लिए हजरतबल दरगाह जाएंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कश्मीर स्थित इस दरगाह की खासियत और इतिहास के बारे में।

हमारे देश में विभिन्न आस्थाओं को मानने वाले समुदाय हैं। लोग अपनी आस्था को पूरा करने के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे जाते हैं। हालांकि कुछ लोग दरगाह भी जाते हैं. लोगों का मानना है कि वे दरगाप में सच्चे मन से जो भी प्रार्थना करते हैं वह पूरी होती है। दरगाह मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल है लेकिन यहां हर धर्म के लोग मत्था टेकने आते हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको कश्मीर की हजरतबल दरगाह के बारे में बताएंगे, क्योंकि इसे मुस्लिम समुदाय की सबसे खास दरगाह कहा जाता है। इस दरगाह की खासियत यह है कि यहां मुस्लिम समुदाय के अलावा हर धर्म के लोग आते हैं। तो आइए जानते हैं कश्मीर की सबसे मशहूर हजरतबल दरगाह के बारे में।

हजरतबल का इतिहास बहुत पुराना

इस दरगाह को ऐतिहासिक दरगाह भी कहा जाता है जिसके बारे में कई मिथक हैं। इसका इतिहास काफी पुराना बताया जाता है। इस्लामिक मान्यता है कि इस दरगाह में इस्लाम के आखिरी पैगम्बर पैगम्बर मोहम्मद साहब की दाढ़ी के बाल सुरक्षित हैं। ऐसा कहा जाता है कि मोहम्मद साहब के बालों को सैयद अब्दुल्ला कश्मीर लेकर आए थे, फिर उन्होंने अपने बालों को इसी दरगाह पर दफनाया था।

हजरतबल दरगाह की खासियत क्या है?

यह दरगाह कश्मीर में डल झील के किनारे स्थित है, इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, क्योंकि यह दरगाह हजरत से जुड़ी हुई है। साथ ही इस दरगाह की खूबसूरती के कारण कश्मीर आने वाले लोग यहां मत्था टेके बिना नहीं जाते। यहां सभी धर्मों के लोग अपनी मन्नतें मांगने आते हैं। हजरतबल दरगाह को मदीनत-अस-सानी, असर-ए-शरीफ और दरगाह शरीफ आदि नामों से जाना जाता है।

मुस्लिमों के लिए क्यों खास है हजरतबल दरगाह?

इस दरगाह में प्रवेश करने से पहले आपको अपना सिर ढकना पड़ता है। साथ ही यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ता है। इस दरगाह पर कोई भी महिला नहीं जा सकती क्योंकि यह एक मस्जिद भी है और दरगाह भी। श्रीनगर में हजरतबल तीर्थ एक प्रसिद्ध मस्जिद है जो मुसलमानों के बीच बड़ी श्रद्धा का केंद्र है। मान्यताओं के अनुसार, इसमें ‘मोई-ए-मुक्कदस’ यानी पैगंबर मुहम्मद की दाढ़ी के पवित्र बाल शामिल हैं। यह मस्जिद मुसलमानों के पैगंबर के प्रति प्रेम और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

हजरतबल दरगाह का निर्माण कब और किसने करवाया?

कई जगह इसका उल्लेख मिलता है कि इसका इतिहास सत्रहवीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि कश्मीर में मुगल बादशाह शाहजहां के गवर्नर सादिक खान ने 1623 ई. में इस स्थान पर उद्यान, इमारतें और एक विश्राम स्थल बनवाया था। साल 1634 में शाहजहां ने इस महल को इबादतगाह में तब्दील करने का आदेश दिया था.

यह भी कहा जाता है कि इस दरगाह का निर्माण 1968 में मुस्लिम औकाफ ट्रस्ट के शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की देखरेख में शुरू हुआ था। इस सफेद संगमरमर की इमारत का निर्माण वर्ष 1979 में पूरा हुआ था। हजरतबल दरगाह को 2010 की बॉलीवुड फिल्म लम्हा में दिखाया गया था, जिसमें संजय दत्त, बिपाशा बसु, कुणाल कपूर और अनुपम खेर ने अभिनय किया था।

इसे कहा जाता है सफेद मस्जिद

हजरतबल तीर्थ स्थल भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है जो मुसलमानों के लिए बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। हजरतबल दरगाह हर साल कई तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है और भारत में मुस्लिम संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हजरतबल को इसके सफेद संगमरमर के बाहरी हिस्से के कारण “सफेद मस्जिद” के रूप में जाना जाता है।

यह भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के लिए खास

हजरतबल दरगाह अपने धार्मिक महत्व के अलावा अपनी वास्तुकला और सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। हजरतबल दरगाह अपने आप में खूबसूरत डल झील के किनारे स्थित एक भव्य सफेद संगमरमर की इमारत है। हजरतबल तीर्थस्थल कश्मीर के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह दरगाह भारतीय और पाकिस्तानी दोनों मुसलमानों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है।

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