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India News(इंडिया न्यूज),Arvind Kejriwal: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अभी 15 अप्रैल तक ईडी के रिमांड पर है। वहीं आज दिल्ली के हाईकोर्ट में सीएम पद से हटाने वाली याचिका पर सुनवाई हुई जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हटाने की मांग वाली एक और याचिका खारिज करते हुए कहा कि, अदालतें “इस मामले” में हस्तक्षेप नहीं करेंगी और इसका सैमाधान किसी अन्य प्राधिकारी के पास है।
मिली जानकारी के अनुसार, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि, अदालतें किसी मुख्यमंत्री को नहीं हटातीं। यह कार्य विधायिका द्वारा किया जाना है। उपराज्यपाल (एलजी) स्थिति की जांच कर रहे हैं। “कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है लेकिन यह उनका (केजरीवाल) का निजी निर्णय है। अन्य फोरम पहले ही इस मामले पर विचार कर चुका है। इसका समाधान इस अदालत में नहीं है, इसका समाधान किसी अन्य प्राधिकारी के पास है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने गुरुवार को इसी तरह की एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह केजरीवाल के मुख्यमंत्री बने रहने के खिलाफ कोई कानूनी बाधा दिखाने में विफल रही। उन्होंने कहा कि अगर किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के कारण कोई “संवैधानिक विफलता” होती है, तो अदालत के बजाय राष्ट्रपति को इस पर कार्रवाई करनी है।
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इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली सरकार के कामकाज के लिए संविधान की योजना को लागू करने के लिए एलजी को निर्देश देने की गुप्ता की प्रार्थना को खारिज करते हुए कहा कि, “लोकतंत्र को अपना रास्ता अपनाने दो। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में अपना समय लगेगा. राज्यपाल एवं राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक नैतिकता पर विचार किया जा रहा है। हम राज्य का प्रशासन नहीं करते हैं।”
जानकारी के लिए बता दें कि, गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि केजरीवाल ने गिरफ्तार होते ही संवैधानिक विश्वास का उल्लंघन किया है। इसमें कहा गया कि केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद पर बने रहना असंवैधानिक है। याचिका में कहा गया कि केजरीवाल को बर्खास्त करना उपराज्यपाल की संवैधानिक बाध्यता है। गुप्ता के वकील ने तर्क दिया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राजधानी में संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया है क्योंकि अब कैबिनेट नहीं है।
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