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रावण ने अपने इस अंग में छिपा कर रखा था अमृत, जानें उस महा चोरी की सारी कहानी?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : August 31, 2024, 5:32 pm IST
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रावण ने अपने इस अंग में छिपा कर रखा था अमृत, जानें उस महा चोरी की सारी कहानी?

India News (इंडिया न्यूज़), Ravan Ki Nabhi Mein Chhipa Amrit: हिन्दू धर्म के महाकाव्य रामायण में न केवल देवताओं और दानवों की कथाएँ हैं, बल्कि उनके जीवन में छिपे कई गहरे रहस्य भी हैं। इनमें से एक सबसे रहस्यमय और आकर्षक रहस्य रावण की नाभि में अमृत से जुड़ा है। यह कथा केवल रोमांचक नहीं बल्कि अद्भुत पौराणिक घटनाओं की गहराई को भी दर्शाती है। आइए जानते हैं कि रावण की नाभि में अमृत का रहस्य कैसे खुला।

रावण और श्री राम का युद्ध

जब श्री राम और रावण के बीच महाक्रूर युद्ध हुआ, तब रावण की मृत्यु असंभव सी लग रही थी। श्री राम ने हर संभव प्रयास किया लेकिन रावण को पराजित करने में सफल नहीं हो पा रहे थे। इस स्थिति को देखकर विभीषण, जो रावण के छोटे भाई थे और श्री राम के समरथ सहयोगी बने थे, ने श्री राम को रावण की मृत्यु का रहस्य उजागर किया।

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विभीषण ने बताया कि रावण की मृत्यु केवल तब ही संभव है जब उसकी नाभि पर वार किया जाए, क्योंकि रावण की नाभि में अमृत छिपा हुआ था। यह रहस्य जानकर श्री राम ने तुरंत अपने बाण को रावण की नाभि की ओर निशाना बनाया। जैसे ही बाण रावण की नाभि में लगा, वह अचेत हो गया और अंततः रावण की मृत्यु हो गई। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि रावण की नाभि में अमृत आया कहाँ से?

मंदोदरी की कहानी

इस रहस्य की तह में जाने के लिए हमें एक और कथा की ओर मुड़ना होगा। रावण की पत्नी मंदोदरी, जो एक सच्ची और प्यारी पत्नी थी, ने अपने पति के लिए अमरता प्राप्त करने का संकल्प लिया। एक बार, रावण और बालि के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में रावण बुरी तरह से घायल हो गया और उसकी जान पर बन आई। मंदोदरी ने देखा कि रावण को बचाना आवश्यक है और उसने अमरता की खोज करने का निर्णय लिया।

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मंदोदरी ने अपने पिता से अमृत के बारे में जानकारी प्राप्त की और चंद्र लोक की ओर यात्रा की। चंद्र लोक पर अमृत का कलश रखा हुआ था, लेकिन उसे प्राप्त करना बहुत कठिन था। इसके लिए मंदोदरी ने शरद पूर्णिमा की रात का इंतजार किया, क्योंकि मान्यता थी कि इस रात चंद्र देव अमृत कलश को बाहर निकालते हैं और उसकी कुछ बूंदें धरती पर गिराते हैं।

शरद पूर्णिमा की रात

जब शरद पूर्णिमा आई, तो मंदोदरी ने विभीषण की सहायता से चंद्र लोक में प्रवेश किया। उन्होंने चंद्र देव की उपस्थिति में अमृत कलश को देखा और जैसे ही चंद्र देव ने अमृत की कुछ बूंदें धरती पर गिराईं, मंदोदरी ने उसे सावधानीपूर्वक संजो लिया। मंदोदरी ने उस अमृत को रावण की नाभि में स्थापित किया, ताकि रावण अमर हो सके।

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अमृत का रहस्य खुलता है

रावण की नाभि में अमृत की उपस्थिति का रहस्य इस प्रकार खुला। यह अमृत उसकी मृत्यु को असंभव बना रहा था और यही कारण था कि रावण को पराजित करना श्री राम के लिए कठिन था। जब श्री राम ने रावण की नाभि पर बाण चलाया, तो अमृत का प्रभाव समाप्त हो गया और रावण की मृत्यु हो गई।

यह कथा हमें केवल एक अद्भुत पौराणिक घटना की जानकारी नहीं देती, बल्कि यह भी सिखाती है कि हर समस्या का समाधान और हर रहस्य का खुलासा समय और सही प्रयास से संभव होता है। रावण की नाभि में छिपे अमृत का रहस्य एक रोमांचक और गहरे रहस्य का प्रतीक है, जो हमारे पुरानी कथाओं की गहराई और जटिलता को उजागर करता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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