India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Vadhavan Port Project : मोदी सरकार ने भारत की समुद्री व्यापार क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। महाराष्ट्र के तट पर वधावन नाम से एक नए बंदरगाह परियोजना की घोषणा की गई है। इससे वैश्विक व्यापार संबंधों के अलावा क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। जानकारी के मुताबिक वधावन बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत बंदरगाह होगा। यह परियोजना महाराष्ट्र के पालघर जिले में दहानू के पास बनाई जा रही है। इसके अलावा महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे खुद इस बंदरगाह परियोजना की लगातार निगरानी कर रहे हैं और इसके काम को तेज गति से करने पर भी ध्यान दे रहे हैं।
वधावन बंदरगाह से क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, इसके अलावा रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। सहायक उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। महाराष्ट्र के अलावा इसका असर गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों पर भी पड़ेगा। यह बंदरगाह निवेश को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक भारत की पहुंच बढ़ाने में मदद करेगा। वहीं अगर व्यापार लागत की बात करें तो वधावन बंदरगाह से इसमें काफी कमी आएगी। डीप-ड्राफ्ट बर्थ को दुनिया के सबसे बड़े जहाजों के प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा कर सकता है। वधावन पोर्ट का विकास जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) के बीच सहयोग में एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) पहल का हिस्सा है।
वधावन पोर्ट उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे (IMEC) में एक प्रमुख नोड के रूप में काम करेगा, जिससे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से भारत की कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके अलावा, लगभग 76,220 करोड़ रुपये के निवेश से 23 मिलियन बीस-फुट समकक्ष इकाई (TEU) कार्गो को संभालने का अनुमान है। इस क्षमता के साथ, यह 2040 की परिचालन समय सीमा के साथ वैश्विक स्तर पर शीर्ष दस बंदरगाहों में शामिल हो गया है।
वधावन बंदरगाह को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह परियोजना 1,473 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली हुई है, जिसमें भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण आकलन का काम चल रहा है। ब्रेकवाटर का निर्माण और कटाव नियंत्रण उपायों का कार्यान्वयन तटीय क्षेत्र की जैव विविधता को संरक्षित करेगा। इसके अलावा न्यूनतम भूमि उपयोग, ऊर्जा कुशल प्रणालियाँ भी शामिल हैं।
वाधवन बंदरगाह से कनेक्टिविटी की बात करें तो इसकी पहुँच मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे तक है, जिससे बंदरगाह की कनेक्टिविटी और मजबूत होगी। इससे कार्गो मूवमेंट की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी हो जाएगी। आने वाले समय में वाधवन बंदरगाह को लॉजिस्टिक हब बनाने की परिकल्पना की गई है। जिससे भारतीय व्यवसायों को समय और लागत की बचत होगी।
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