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India News (इंडिया न्यूज़),UP News: अलीगढ़ में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में आज (मंगलवार) एक उग्र प्रदर्शन हुआ। यह प्रदर्शन पुराने गांधी पार्क रोड और बस स्टैंड पर आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू संगठन के कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ नारेबाजी की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
सुरक्षा के नजरिए से, पुलिस प्रशासन ने शहर में भारी तादात में पुलिस फोर्स तैनात की है। प्रदर्शन को देखते हुए, कई रूटों को डायवर्ट कर दिया गया है ताकि यातायात व्यवस्था प्रभावित न हो। प्रदर्शन में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रमोद कुमार और अशोक पांडे भी शामिल थे। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की और भारत सरकार से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की। यह प्रदर्शन बांग्लादेश में हो रही घटनाओं के खिलाफ एकजुटता दिखाने के रूप में आयोजित किया गया है, और इसमें हिंदू समुदाय के लोगों ने अपनी आवाज उठाई।
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बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का इतिहास जटिल और गहरा है, जिसका कारण धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कई पहलुओं से है। बांग्लादेश की आबादी का अधिकांश हिस्सा मुस्लिम है, और मुस्लिम बहुल समाज में हिंदू अल्पसंख्यक के रूप में रहते हैं। पाकिस्तान से बांग्लादेश का विभाजन 1971 में हुआ था, और इसके बाद से इस्लामी कट्टरवाद ने जोर पकड़ा। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं, को कभी-कभी अलग-थलग किया जाता है और उनके अधिकारों की अनदेखी की जाती है।
बांग्लादेश में राजनीतिक संघर्षों के दौरान हिंदू समुदाय को अक्सर निशाना बनाया जाता है। 1971 के युद्ध के समय, हिंदू समुदाय को पाकिस्तान के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया गया था, जिससे उन्हें मुस्लिम बहुल समाज में कई सालों तक गहरा भेदभाव और हिंसा झेलनी पड़ी। इसके अलावा, बांग्लादेश में कुछ कट्टरपंथी इस्लामी समूह हिंदू समुदाय को “अपराधी” और “अजनबी” मानते हैं, जो उनके विश्वासों और संस्कृति के विपरीत होते हैं।
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बांग्लादेश में पिछले कुछ दशकों में इस्लामी कट्टरपंथियों की गतिविधियां बढ़ी हैं। इन कट्टरपंथी समूहों के अनुसार, बांग्लादेश एक मुस्लिम राष्ट्र है और हिंदू समुदाय का वहां कोई स्थान नहीं होना चाहिए। ये समूह धार्मिक असहिष्णुता फैलाने के लिए हिंसा और धमकियों का सहारा लेते हैं। उनके लिए हिंदू केवल “दूसरे धर्म के लोग” होते हैं, जिन्हें दबाना और अपमानित करना जायज माना जाता है। हिंदू समुदाय के कई लोग बांग्लादेश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहते हैं, जहां समाज में अत्यधिक गरीबी और साक्षरता की कमी है। ऐसे में उनका शोषण करना आसान होता है। इसके अलावा, कई बार हिंदू महिलाओं को बलात्कार और अन्य प्रकार के शारीरिक और मानसिक अत्याचार का शिकार बनाया जाता है, जिससे उन्हें डर और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का आकार बहुत छोटा है (लगभग 8-10 प्रतिशत) और वे एक अल्पसंख्यक के रूप में रहते हैं। ऐसे में उन्हें सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक रूप से दबाया जाता है। उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला किया जाता है, और उनकी पूजा स्थल, मंदिरों और धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाया जाता है।
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर आंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अक्सर जाता है, लेकिन बांग्लादेश सरकार पर पर्याप्त दबाव नहीं बन पाता। इस हिंसा का व्यापक रूप से विरोध होने के बावजूद, बांग्लादेश में हालात ठीक नहीं हो पा रहे हैं, और इसके कारण भी कई आंतरिक और बाहरी कारक जिम्मेदार हैं।
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बांग्लादेश में हाल ही में बांग्लादेश सरकार और कट्टरपंथी इस्लामी गुटों के बीच एक नया विवाद उभरा है, जिसमें कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कंसियसनेस) पर हमला करने और इसे प्रतिबंधित करने की मांग की है। इस मामले में बांग्लादेश की नई यूनुस सरकार पर कट्टरपंथी तत्वों को खुश करने और इस्कॉन पर हमला करने की अनुमति देने का आरोप लगाया जा रहा है।
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