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India News (इंडिया न्यूज), Juna Akhada Court: महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए कई अखाड़े गंगा के तट पर पहुंचते हैं। इन में से एक अखाड़ा है जिसकी अपनी अदालत है। हम बात कर रहे हैं जूना अखाड़े की। जूना अखाड़े की अपनी अदालत है ताकि वो नियमों के मुताबिक काम कर सके और जो भी मामले इस अदालत में आते हैं, उनमें बराबर से न्याय होता है। न्याय देने के लिए जूना अखाड़े के पास 17 सदस्यों की एक टीम है। जहां अखाड़े से जुड़े लोग अपने मामला रख सकते हैं। इसके बाद 17 सदस्यों की कमेटी एक तय दिन पर इकट्ठा होती है और फिर दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद न्याय देती है।
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जूना अखाड़े की अदालत के बारे में एक नीजि मीडिया को जानकारी देते हुए अष्टकोशल महंत डॉ. योगानंद गिरि महाराज ने बताया कि जब से हमारा जूना अखाड़े की स्थापना हुई है तभी से न्याय देने की परंपरा चली आ रही है। अगर हमारे अखाड़े या संतों द्वारा समाज में किसी भी तरह की आपराधिक, असामाजिक, अखाड़ा विरोधी या धर्म विरोधी गतिविधियां होती हैं, तो हमारे अखाड़े में सजा का प्रावधान है और इसके लिए हमारे अखाड़े में न्यायपालिका बनाई गई है। अगर कोई व्यवस्था बनाई जाती है तो उसके लिए स्थापना और निष्कासन की व्यवस्था बनाई जाती है।
उन्होंने आगे बताया कि किसी वजह से सदस्य बनाया जा सकता है और किस कारण से किसी को निष्कासित किया जा सकता है। जूना अखाड़े की न्यायपालिका में सबसे बड़ा पद अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का होता है जिसे सभापति कहा जाता है, इसके अलावा चार श्री महंत, 4 सचिव, 4 श्रीमहंत थानापति और 4 अष्ट कौशल महंत भी होते हैं। इनका मुख्यालय वाराणसी में बना हुआ है। यह 17 सदस्यीय टीम जो भी फैसला लेती है, वह फैसला सभी को मानना होता है।
आपको बता दें कि इस अखाड़े से जुड़ा कोई भी व्यक्ति इस अदालत में अपील कर सकता है। जब कोई शिकायत का आवेदन आता है तो उसके बाद टीम उस शिकायत पर विचार करती है कि शिकायत सुनवाई योग्य है या नहीं और अगर शिकायत सुनवाई योग्य है तो उस पर सुनवाई की जाती है, वहीं अगर शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है तो अपील करने वाले को उचित सजा भी दी जाती है। इस अदालत में 17 लोग ही फैसला लेते हैं। सर्वसम्मति होनी चाहिए। सभी 17 सदस्यों को इस बैठक की सूचना दी जाती है और एक तिथि तय की जाती है।
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