Hindi News / Indianews / Naga Sadhus Fight With Britishers And Mughals Who Tried To Ban Mahakumbh With Akbar Cannon British Tax Impose On Prayag Kumbh

जब Mahakumbh बंद कराने आए थे 'सफेद राक्षस', नागा साधुओं ने पहली बार दिखाया था रौद्र रूप, बिछ गई थी लाशें

Naga Sadhus से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिसे सुनकर आम आदमी की आखें फटी रह जाएंगी। इनमें से एक किस्सा Mahakumbh से भी जुड़ा है।

BY: Utkarsha Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Naga Sadhu Mahakumbh History: प्रयागराज में महाकुंभ का महापर्व चल रहा है। यहां पर दुनिया भर से आए तीर्थयात्रियों के अलावा साधु-संतों का जमावड़ा लगा हुआ है। 144 साल में आने वाले महाकुंभ में नागा साधु भी डुबकी लगाने पहुंचे हैं। इस दौरान इन नागा साधुओं से जुड़े कई रहस्यों को लेकर तरह-तरह की खबरें सामने आ रही हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बाबाओं का इतिहास मुगल काल से भी पहले का है। नागा साधुओं ने सनातन धर्म के लिए जो कारनामे किए हैं, उसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आगे जानें क्या हुआ जब एक बार कुंभ बंद करने के लिए कुछ लोग ‘राक्षस’ बनकर आ गए थे?

Mahakumbh में क्यों पसरा रहता था सन्नाटा?

आज भारत के इस सबसे बड़े आयोजन के लिए सरकार जी-जान से तैयारियां करती है और सुविधाओं के सारे इंतजाम किए जाते हैं लेकिन एक वक्त पर इस आयोजन के लिए सनातनियों को भारी टैक्स भरना पड़ता था। मुगल बादशाह अकबर के शासन में कुंभ पर सवा रुपये टैक्स लगा दिया गया था, आम लोग टैक्स भर नहीं पाते थे और नतीजन यहां सन्नाटा पसरा रहता था। बाद में हिंदुओं ने विरोध किया तो मुगल सरकार को टैक्स लगाने का फैसला वापस लेना पड़ा।

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Mahakumbh Naga Sadhu History: नागा साधुओं और महाकुंभ का इतिहास

कौन थे वो सफेद राक्षस?

मुगलों के बाद ‘सफेद राक्षस’ बनकर आए थे अंग्रेज, जो 1857 की क्रांति से ऐसा खौफ खाए कि वो कुंभ को बंद करवाने की साजिश करने लगे क्योंकि इस आयोजन में हिंदुओं की भीड़ इकट्ठा होती थी और भीड़ अंग्रेजों के लिए खतरनाक थी। कुंभ में कई तरह के प्रतिबंध थोपे गए। प्रयागराज की जमीनें कब्जा ली गईं, ट्रेन-बसों की टिकटों पर रोक लगाई गई। बताया जाता है कि प्रयाग में रानी लक्ष्मीबाई का शरण देने के आरोप में एक पंडे को फांसी दे दी गई थी।

Naga Sadhus ने कैसे दिखाया था रौद्र रूप?

अंग्रेजों के प्रतिबंधों और अत्याचारों से तंग आकर नागा साधुओं ने तलवार उठा ली थी। धर्म के सैनिक 2 हजार की संख्या में इकट्ठा हुए और शस्त्र चलाना सीखा। इस जंग के लिए नागाओं ने शाला में रखी तोप का इस्तेमाल किया था। इस तोप की कहानी भी दिलचस्प है जो अकबर ने गंगादास के गुरु परमानंद महाराज को तोहफे में दी थी। अंग्रेज माला फेरने वाले साधुओं का रौद्र रूप देखकर अधमरे हो गए थे और उस जंग में कई अंग्रेज मार गिराए गए थे।

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