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नासमझी का सवाल नहीं…सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है राहुल गांधी का बयान! देश से ही लड़ने का क्या है मतलब?

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : January 20, 2025, 4:27 pm IST
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नासमझी का सवाल नहीं…सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है राहुल गांधी का बयान! देश से ही लड़ने का क्या है मतलब?

Rahul Gandhi

India News(इंडिया न्यूज),Rahul Gandhi:कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने दो दशक से भी ज्यादा के राजनीतिक करियर में कई ऐसे बयान दिए हैं, जिससे उनकी समझदारी पर सवाल उठते रहे हैं। उनके बयानों को अक्सर उनकी मूर्खता बताकर खारिज कर दिया जाता रहा है।लेकिन, इस बार उन्होंने भारत राष्ट्र से लड़ने की बात करके खुद को गंभीर संदेह के घेरे में ला दिया है। राहुल गांधी ने बुधवार को जो कुछ कहा, उसके शब्दों पर गौर करना जरूरी है। उन्होंने कहा है कि हम ‘भाजपा, आरएसएस और खुद भारतीय राष्ट्र’ से लड़ रहे हैं।

सोची-समझी रणनीति 

उनका कहना है कि यह कोई राजनीतिक संघर्ष नहीं है। राहुल गांधी की यह भाषा पूरी तरह से ‘माओवादी’ जैसी लग रही है। आज वे एक संवैधानिक पद पर हैं। लेकिन, क्या उनमें इतनी समझ नहीं है कि वे देश से ही लड़ने की बात करें? ऐसे में लगता है कि वे जो कुछ भी कह रहे हैं, वह पूरी तरह से सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उनके द्वारा गलती से कुछ कहने की गुंजाइश नहीं बची है या उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, यह बात भी अब हजम नहीं हो रही है।

भारत को राष्ट्र क्यों नहीं मानते राहुल?

ये वही राहुल गांधी हैं जो कहते हैं, ‘मैं नहीं मानता कि भारत एक राष्ट्र है।’ वो कहते हैं, ‘भारत सिर्फ़ राज्यों का एक संघ है।’ वो जानबूझ कर ये दोहराना चाहते हैं कि ‘भारत एक राष्ट्र नहीं है।’ क्योंकि वो ‘राष्ट्रवाद’ में विश्वास नहीं रखते, उनके इस संदेह को उनके ताज़ा बयान ने पुख्ता कर दिया है।भारत के राष्ट्र से लड़ने की बात करके राहुल ने एक तरह से कहा है कि वो ‘राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत के खिलाफ़ लड़ने की बात कर रहे हैं। वो देश की हर पहचान के खिलाफ़ युद्ध की बात कर रहे हैं, जो देश की एकता और अखंडता है।’

संविधान से की खिलाफत

क्योंकि, संविधान के अनुच्छेद 12 में जिस तरह से भारतीय राज्य को परिभाषित किया गया है, उससे ये स्पष्ट है। इसमें भारतीय राज्य को केंद्र सरकार का विधायी और कार्यकारी निकाय बताया गया है। भारतीय राज्य के खिलाफ़ लड़ने की बात करके उन्होंने देश की चुनी हुई सरकार के खिलाफ़ युद्ध छेड़ने की बात की है।इस तरह से वे लोकसभा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर रहे हैं। वे राज्यसभा के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात कर रहे हैं। राहुल गांधी राज्यों की विधानसभाओं (विधानसभा और विधान परिषद) के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात कर रहे हैं। वे सभी तरह की स्थानीय और निर्वाचित संस्थाओं, पंचायतों, जिला पंचायतों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात कर रहे हैं। वे देश की सभी तरह की वैधानिक और गैर-वैधानिक संस्थाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात कर रहे हैं। चाहे वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हो, विधि आयोग हो या फिर भारतीय सशस्त्र सेना हो, वे सभी के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात कर रहे हैं। मामला सिर्फ सीबीआई, ईडी और राष्ट्रीय सतर्कता आयोग तक सीमित नहीं है, वे लोकायुक्त और लोकपालों के खिलाफ भी युद्ध छेड़ने जा रहे हैं।

पहले भी कर चुके हैं ये काम

राहुल गांधी पहले भी देश और यहां तक ​​कि सेना को भी जातियों के आधार पर बांटने की कोशिश कर चुके हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब लगा कि वे अज्ञानता में देश की जनता को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि वह यह सब अज्ञानता में नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर और बहुत खतरनाक योजना के साथ कर रहे हैं। भारत देश से लड़ने की बात करके राहुल ने देश के राष्ट्रपति, सभी राज्यपालों, सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई और सभी 32 जजों, सभी 25 हाई कोर्ट के 1100 से अधिक जजों, सभी निचली अदालतों के साथ-साथ देश की सभी चुनी हुई सरकारों, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों से लड़ने का ऐलान कर दिया है।

चीन के मंत्री से गुप्त मुलाकात?

राहुल गांधी की ‘माओवादी’ प्रवृत्ति पहली बार देश के सामने तब आई थी, जब उन्होंने अपनी ही केंद्र सरकार के कैबिनेट प्रस्ताव को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था। देश ने उन्हें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ चीनी राष्ट्रपति और राहुल की मां और तत्कालीन कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते भी देखा है। राहुल ने कभी देश को यह नहीं बताया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे पुरानी पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता ने दुश्मन देश की सत्ताधारी पार्टी के साथ क्या डील की और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

डोनाल्ड लू नाम का एक शख्स CIA के इशारे पर दूसरे देशों में सत्ता परिवर्तन करवाने के लिए कुख्यात रहा है। पाकिस्तान और बांग्लादेश इसके उदाहरण हैं। बांग्लादेश में हिंसक सत्ता परिवर्तन के बाद 10 सितंबर 2024 को राहुल गांधी ने उससे मुलाकात क्यों की? राहुल गांधी को सोमाली-अमेरिकी राजनेता इल्हान उमर से मिलने की क्या जरूरत थी, जो भारत विरोधी आवाज उठाने के लिए कुख्यात रही है। इस कारण यह गहरा संदेह होना जायज है कि जब 2017 में सिक्किम के डोकलाम में हमारी सेना चीनी सैनिकों से लड़ रही थी, तो क्या उसने चीनी अधिकारियों से गुप्त रूप से मुलाकात की थी? इसी तरह, क्या वाकई में उसने चीन के मंत्री से गुप्त मुलाकात की थी?

भारत राष्ट्र के खिलाफ लड़ाई की बात करने के बाद राहुल गांधी के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे इन सभी मुद्दों पर देश को जवाब दें और बताएं कि उनकी उस देश से क्या दुश्मनी है जिसने हमेशा उनके परिवार को ऊंचा स्थान दिया और उन्हें सर्वोच्च पदों से सम्मानित किया।

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