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इंडिया न्यूज ।
Visit Puskar Tamples : जब भी राजस्थान की बात होती है तो इसे राजाओं,रानियों व महलों के लिए जाना जाता है ।लेकिन यहां एक शहर ऐसा भी है जिससे धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है । इस शहर का नाम है पुष्कर। ऐसा माना जाता है कि इस शहर को स्वयं सृष्टि के हिंदू देवता ब्रह्मा द्वारा बनाया गया था,इसलिए यहां पर देश का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर स्थित है। इतना ही नहीं इस शहर में अन्य कई धार्मिक स्थल भी स्थित हैं जो लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां के धार्मिक स्थलों में से कुछ मंदिर नए व पुराने भी है । लेकिन वह पर्यटकों व श्रद्धालुओं को अपनी और खिंचे हुए है ।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु अलग-अलग समय पर बुरी ताकतों को हराने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होते थे। उन्होंने नौ ऐसे अवतार लिए जिनमें से एक वराह अवतार भी था । यह मंदिर विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। वराह मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा अनाजी चौहान ने करवाया था। वराह को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। मंदिर को आंशिक रूप से मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा नष्ट कर दिया गया था । लेकिन 18 वीं शताब्दी में जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा फिर से पुनर्निर्मित किया गया था। मंदिर के भीतरी गर्भगृह में भगवान वराह की एक विशाल मूर्ति है जो सफेद रंग की है। वराह मंदिर को देखने का समय समय सर्दियों के दौरान होता है जो अक्टूबर से फरवरी तक होता है। इस मंदिर के सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी दर्शन कर सकते हैं।
पुष्कर में सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक पुराना रंगजी मंदिर है जो तकरीबन 150 साल पुराना मंदिर है जो भगवान रंगजी को समर्पित है ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। मंदिर में मुगल और राजपूत वास्तुकला के साथ-साथ दक्षिण भारतीय वास्तुकला के रंग भी देखने को मिलते हैं। मंदिर का निर्माण वर्ष 1823 में हैदराबाद के एक अमीर व्यापारी सेठ पूरनमल गनेरीवाल ने करवाया था। मंदिर में भगवान रंगजी की मूर्तियां, भगवान कृष्ण, गोड्डमही, देवी लक्ष्मी और श्री रामानुजाचार्य की मूर्तियां हैं। यह मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है और यह पुष्कर झील के नजदीक है।
आप्टेश्वर मंदिर की वास्तुकला हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। इस मंदिर को औरंगजेब द्वारा नष्ट कर दिया गया था लेकिन बाद में इसे फिर से बना दिया गया था। यहां के मुख्य देवता शिवलिंग हैं जिन्हें दही, दूध, घी और शहद चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, भक्त भगवान को बेलपत्र के पत्ते भी चढ़ाते हैं। भक्तों का मानना है कि बेल के पत्ते चढ़ाने से उनकी मनोकामना पूरी होती है। शिवरात्रि यहां का प्रमुख त्योहार है। जिसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह ब्रह्मा मंदिर के पास स्थित है और इस मंदिर के दर्शन सुबह 6.30 बजे से रात 8.30 बजे तक कर सकते हैं।
पुष्कर में दो रघुनाथ मंदिर स्थित हैं जिनमें से एक 1823 में बनाया गया था जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां विष्णु की पूजा भगवान राम के रूप में की जाती है जो विष्णु के नौ अवतारों में से एक हैं। मंदिर में भगवान वेणुगोपाल, देवी लक्ष्मी व भगवान नरसिंह देवता भी विराजमान हैं। वहीं नए रघुनाथ मंदिर में भगवान वैकुंठनाथ व देवी लक्ष्मी विराजमान है । इसमेंं सात अन्य मंदिर भी स्थित है। इन मंदिरों में केवल भारतीयों को अनुमति है ।
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