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किसने दिया था रावण को ऐसा श्राप जिससे कभी भी वह नहीं छू सकता था किसी भी पराई स्त्री को? फिर भी कैसा किया सीता का अपहरण!

Facts About Ramayana: किसने दिया था रावण को ऐसा श्राप जिससे कभी भी वह नहीं छू सकता था किसी भी पराई स्त्री को

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Facts About Ramayana: रावण, जिसे लंकापति के रूप में जाना जाता है, शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक था। लेकिन उसके जीवन की एक घटना ने उसकी ताकत के बावजूद उसकी सीमाओं को उजागर कर दिया। यह घटना न केवल उसकी मर्यादा को नियंत्रित करती है, बल्कि उसे इतिहास में एक महत्वपूर्ण सीख के रूप में स्थापित करती है। यह कहानी वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड के 26वें अध्याय और 39वें श्लोक में दर्ज है।

रावण को मिला श्राप

रावण भले ही सीता जी का हरण कर उन्हें लंका ले आया था, लेकिन वह उन्हें कभी छूने का साहस नहीं कर सका। इसका कारण एक श्राप था जो उसे नलकुबेर ने दिया था। इस श्राप के अनुसार, यदि रावण किसी स्त्री को उसकी सहमति के बिना छूता, तो उसका सिर सौ टुकड़ों में बंट जाता। यही श्राप रावण के लिए उसकी इच्छाओं को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा बन गया।

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Facts About Ramayana: किसने दिया था रावण को ऐसा श्राप जिससे कभी भी वह नहीं छू सकता था किसी भी पराई स्त्री को

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घटना का विवरण

एक दिन, स्वर्ग की अप्सरा रंभा अपने भावी पति नलकुबेर से मिलने जा रही थी। रंभा की अनुपम सुंदरता देखकर रावण मोहित हो गया। रावण ने रंभा के साथ अनुचित व्यवहार करने की कोशिश की, लेकिन रंभा ने उसे रोकते हुए कहा कि वह नलकुबेर के लिए आरक्षित है। साथ ही, रंभा ने रावण को यह भी याद दिलाया कि नलकुबेर उसके भाई कुबेर का बेटा है, जिससे वह रंभा के पिता समान हुए।

रंभा की चेतावनी के बावजूद, रावण ने उसके प्रति दुर्व्यवहार किया। जब यह बात नलकुबेर को पता चली, तो वह अत्यंत क्रोधित हुआ। उसने रावण को श्राप दिया कि यदि वह भविष्य में किसी स्त्री को उसकी सहमति के बिना छुएगा, तो उसका सिर फटकर सौ टुकड़ों में बंट जाएगा।

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श्राप का प्रभाव

नलकुबेर का यह श्राप रावण के जीवन में निर्णायक साबित हुआ। इस श्राप के कारण, जब रावण सीता जी को हरण कर लंका ले गया, तब भी वह उन्हें स्पर्श करने का साहस नहीं कर सका। सीता जी के लिए यह श्राप वरदान सिद्ध हुआ, जबकि रावण के लिए यह उसकी इच्छाओं और मंसूबों को पूरा करने में सबसे बड़ा अवरोधक बन गया।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि अन्याय और अनुचित आचरण, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली व्यक्ति क्यों न करे, उसके परिणाम अवश्य मिलते हैं। रावण जैसा पराक्रमी व्यक्ति भी अपने अनुचित कृत्य के कारण एक श्राप से बंध गया। यह कथा यह भी दर्शाती है कि मर्यादा और नैतिकता का पालन हर स्थिति में अनिवार्य है।

रावण का यह श्राप केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह एक आदर्श उदाहरण है जो हमें जीवन में मर्यादा और उचित व्यवहार के महत्व को समझाता है। यह कहानी न केवल पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आज के समाज में भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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