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तालिबान पर बरसा अमेरिका का प्यार, कर दिया ऐसा काम उड़ गए सभी देशओं के होश, आखिर क्या है Trump का प्लान?

US On Taliban Government : ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई सारी चीजें बदल गई हैं। अब इसी कड़ी में अमेरिकी की तरफ से तालिबान शासन को बड़ी राहत दी गई है। लेकिन इनाम हटने को वैश्विक मंच पर तालिबान के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।

BY: Shubham Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), US On Taliban Government : ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई सारी चीजें बदल गई हैं। अब इसी कड़ी में अमेरिकी की तरफ से तालिबान शासन को बड़ी राहत दी गई है। असल में अमेरिका ने तालिबान के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी समेत तीन नेताओं पर रखा इनाम हटा लिया है। ये फैसला तालिबान ने एक अमेरिकी नागरिक, जॉर्ज ग्लेजमैन, को रिहा करने के बाद लिया गया है। लेकिन इनाम हटने को वैश्विक मंच पर तालिबान के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है।

कौन है सिराजुद्दीन हक्कानी?

बता दें कि सिराजुद्दीन हक्कानी हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख नेता और अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री हैं। यही नहीं काबुल के सेरेना होटल पर 2008 में हमले की योजना बनाने के लिए भी हक्कानी को कुख्यात माना जाता है। उस हमले में एक अमेरिकी नागरिक समेत छह लोग मारे गए थे। इसके अलावा हक्कानी नेटवर्क तालिबान का सबसे खतरनाक घटक माना जाता है, जो आत्मघाती हमलों, बम विस्फोटों और अपहरण में शामिल रहा है।

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US On Taliban Government : तालिबान पर बरसा अमेरिका का प्यार, कर दिया ऐसा काम उड़ गए सभी देशओं के होश

इसी वजह से अमेरिका ने उस पर 10 मिलियन डॉलर (लगभग 83 करोड़ रुपये) का इनाम रखा था। यहीं नहीं एफबीआई की वांछित सूची में उनका नाम आज भी शामिल है, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका का यह कदम पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी तालिबान को मान्यता!

अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से कई देश तालिबान से वार्ता कर चुके हैं। इनमें चीन, कतर और रूस जैसे देश शामिल हैं। यहीं नहीं कुछ देशों ने उनके राजनयिकों को भी मान्यता दी है, जोकि उनके लिए अच्छी खबर है। ऐसा माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए अमेरिका को तालिबान से वार्ता करनी पड़ रही है। लेकिन महिलाओं और मानवाधिकारों पर तालिबान के रुख के कारण पश्चिमी देशों के अलावा और जगहों से भी पूर्ण समर्थन अभी भी संदिग्ध है।

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