Live
Search
Home > राज्य > बिहार > वह शख्स जो था बिहार का प्रधानमंत्री, फिर बना सीएम…जानें PM से CM बनने की पूरी कहानी

वह शख्स जो था बिहार का प्रधानमंत्री, फिर बना सीएम…जानें PM से CM बनने की पूरी कहानी

Shri Krishna Singh: श्री कृष्ण सिंह 1937 में बिहार प्रांत के प्रधानमंत्री चुने गए और 31 अक्टूबर 1939 तक इस पद पर रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने सामाजिक और आर्थिक सुधारों की नींव रखी.

Written By: Ashish kumar Rai
Last Updated: September 11, 2025 21:00:19 IST

Bihar Politics: आज़ादी के बाद भारत को कई प्रधानमंत्री मिले. हम सभी जानते हैं कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज़ादी से पहले ब्रिटिश राज में भी एक प्रधानमंत्री थे, वो भी बिहार से. जी हाँ, बिहार के प्रधानमंत्री कौन थे, उनका नाम क्या था, आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

गाजियाबाद में ई-बसों के रूट में बड़ा बदलाव, अब इन 3 शहरों का होगा सीधा कनेक्शन

जानिए कौन हैं श्री कृष्ण सिंह

हम बात कर रहे हैं बिहार के उस शख्सियत की जिसने न सिर्फ़ बिहार में बल्कि पूरे देश में अपनी अमिट छाप छोड़ी. डॉ. श्री कृष्ण सिंह, जिन्हें प्यार से ‘श्री बाबू’ कहा जाता था. 1935 के भारत सरकार अधिनियम के तहत राज्यों को सीमित स्वायत्तता मिली और 1937 में हुए चुनावों में बिहार में कांग्रेस की जीत हुई. श्री कृष्ण सिंह 1937 में बिहार प्रांत के प्रधानमंत्री चुने गए और 31 अक्टूबर 1939 तक इस पद पर रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने सामाजिक और आर्थिक सुधारों की नींव रखी. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन थी, जिसके लिए उन्हें ‘बिहार केसरी’ की उपाधि मिली.

प्रधानमंत्री बनने के बाद वे मुख्यमंत्री बने

15 अगस्त 1947 को भारत की आज़ादी के बाद, भारत ने अपना संविधान बनाया और जब पहले चुनाव हुए, तो प्रांतों में गठित सरकार के मुखिया को मुख्यमंत्री का पद दिया गया. 1952 में, जब स्वतंत्र भारत का पहला आम चुनाव हुआ, तो कांग्रेस पार्टी ने इस चुनाव में भारी जीत हासिल की और उसे भारी बहुमत मिला, जिसमें श्री कृष्ण सिंह मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए. मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने 15 वर्षों तक इस पद पर कार्य किया.

बिहार के लिए ये किया काम

श्री बाबू ने शिक्षा, बुनियादी ढाँचे और उद्योग के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उन्होंने बिहार में राज्य राजमार्गों के किनारे छायादार पेड़ लगाने की योजना शुरू की, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, उन्होंने औद्योगिक विकास के लिए छोटा नागपुर पठार को चुना, जिससे आगे चलकर बिहार के राजस्व में वृद्धि हुई और लाखों लोगों को रोज़गार मिला. उनके शासनकाल में राज्य में पहली बार औद्योगिक क्रांति आई. श्री बाबू समझते थे कि किसी भी राज्य में औद्योगिक क्रांति के लिए बिजली और सड़कें बुनियादी ज़रूरतें हैं. उन्होंने बेगूसराय और पटना के बीच गंगा नदी पर एक पुल का निर्माण कराया. श्री बाबू ने दलितों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कई कदम उठाए, जिसके लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा.

‘उनकी मानसिकता टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसी…’, ममता को लेकर किसने दिया ये बड़ा बयान, मचेगा सियासी बवाल!

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?