Sperm Bank: जो कपल्स प्राकृतिक रूप से माता-पिता बनने का सुख नहीं पा सकते, वो ये सुख पाने के लिए आईवीएफ(IVF) का सहारा लेते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें महिला के एग्स और पुरुष के शुक्राणुओं को निकालकर लैब में मिलाया जाता है. इन दोनों के निषेचन से बने मिक्सचर को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है. इससे यह भ्रूण गर्भाशय में सामान्य रूप से विकसित होने लगता है और बाद में सामान्य रूप से प्रसव होता है. इस तरह महिला प्रेग्नेंट हो जाती है और मां बनने का सुख प्राप्त करती है.
कितने पुराने Sperm से मां बन सकती हैं आप?
शोध से पता चलता है कि यदि शुक्राणु को तरल नाइट्रोजन (-196°C) में उचित रूप से संग्रहित किया जाए, तो वो कई सालों तक सुरक्षित और इस्तेमाल करने लायक रह सकता है. तकनीकी रूप से, शुक्राणुओं की कोई तय समाप्ति तिथि नहीं होती. इसका मतलब है कि अगर उन्हें सही तापमान पर रखा जाए, तो कई सालों बाद भी उनका इस्तेमाल किया जा सकता है.
ऐसे सुरक्षित रखा जाता है स्पर्म
रिपोर्ट्स की माने तो 20-25 साल पुराने शुक्राणुओं से भी सफल गर्भधारण किया गया है. जी हां 2019 में ही, एक ऐसा मामला सामने आया था जिसमें 23 साल पुराने शुक्राणुओं का इस्तेमाल करके आईवीएफ(IVF) के ज़रिए एक बच्चे का जन्म हुआ था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि क्रायोप्रिजर्वेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें शुक्राणुओं को बेहद कम तापमान पर जमाया जाता है. इस प्रक्रिया में शुक्राणु कोशिकाओं की वृद्धि रोक दी जाती है ताकि वो सालों तक इस्तेमाल करने लायक रह सके.
सालों बाद इस तरह होता है इस्तेमाल
दिलचस्प बात ये है कि जब शुक्राणुओं की ज़रूरत होती है, तो उन्हें पिघलाकर इस्तेमाल किया जाता है. आजकल, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे लोग अपनी प्रजनन क्षमता पर किसी भी तरह के बुरे असर से बचने के लिए पहले से ही स्पर्म को स्पर्म बैंक में जमा करा देते हैं. इसके अलावा, जो लोग देर से शादी करना चाहते हैं वो भविष्य में माता-पिता बनने का विकल्प सुरक्षित रखना चाहते हैं, ऐसे लोग ही सबसे अधिक IVF का इस्तेमाल करते हैं.