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खतरों के बीच भी जज़्बा कायम, मुश्किल रास्तों को पार कर स्कूल पहुंचते हैं बुरहानपुर के बच्चे

Burhanpur News: बुरहानपुर के धुलकोट तहसील की ग्राम पंचायत झिरपांजरिया के हाथियाबारी फालिया में शिक्षा पाने की जिजीविषा दिल को छू लेने वाली है.

Written By: shristi S
Last Updated: September 13, 2025 16:14:20 IST

Burhanpur Education Struggle: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर ज़िले की धुलकोट तहसील के ग्राम पंचायत झिरपांजरिया के हाथियाबारी फालिया से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो दिल को झकझोर देती है. यहां शिक्षा पाने की जिजीविषा और बच्चों का जज़्बा जितना प्रेरक है, उतना ही यह तस्वीर शासन-प्रशासन की लापरवाही पर भी गहरी चोट करती है.

नाले को पार कर स्कूल का सफ़र तय करते बच्चें और शिक्षक

इस फालिया में प्राथमिक विद्यालय और आंगनवाड़ी केंद्र तक पहुंचना बच्चों और शिक्षकों के लिए आसान नहीं है. रोज़ाना उन्हें एक बहते नाले को पार करना पड़ता है, जो बरसात के दिनों में मौत का खतरा बन जाता है. भारी बस्ते उठाए छोटे-छोटे मासूम जब पानी की धार लांघते हैं, तो यह दृश्य शिक्षा की कीमत और उनकी मजबूरी दोनों को बयां करता है. कई बार बड़े बच्चे छोटे बच्चों को कंधों पर बैठाकर स्कूल पहुंचाते हैं.

स्कूल में कार्यरत शिक्षक भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं. उन्हें अपने वाहन गांव से दूर खड़े कर कीचड़ भरे रास्तों और नाले को पैदल पार करना पड़ता है. बावजूद इसके, वे बच्चों की पढ़ाई में कमी न आने देने का भरसक प्रयास करते हैं.

शिक्षा का जज़्बा – 100% उपस्थिति

गांव के इस स्कूल में 37 बच्चे दर्ज हैं. सबसे हैरानी की बात यह है कि तमाम खतरों और मुश्किलों के बावजूद यहां रोज़ाना शत-प्रतिशत उपस्थिति दर्ज होती है. बच्चों का मानना है कि शिक्षा ही उनका भविष्य बदल सकती है, इसलिए वे किसी भी हाल में पढ़ाई छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

खतरे के बावजूद न रुकने वाली लगन

ग्रामीण बताते हैं कि कई बार बच्चे नाले में गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं, लेकिन अगले ही दिन वही बच्चे उसी उत्साह से स्कूल जाते हैं. माता-पिता की चिंता स्वाभाविक है, मगर वे बच्चों को रोक भी नहीं सकते क्योंकि उनका विश्वास है कि शिक्षा ही उनके बच्चों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाएगी. ग्रामीण लगातार प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस नाले पर पुलिया या पक्का रास्ता बनाया जाए. लेकिन आज़ादी के 75 साल बाद भी हालात जस के तस हैं. यह केवल एक गांव की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठाता है.

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