Live
Search
Home > अजब गजब न्यूज > बाबर से लेकर औरंगजेब…किस-किस मुगल बादशाह को आती थी हिंदी? जानकर हैरान रह जाएंगे

बाबर से लेकर औरंगजेब…किस-किस मुगल बादशाह को आती थी हिंदी? जानकर हैरान रह जाएंगे

Hindi Diwas 2025: मुगलों ने, प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए फ़ारसी का प्रयोग किया, हिंदी साहित्य और कवियों को भी संरक्षण दिया. इस काल में भक्ति आंदोलन अपने चरम पर था. तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना करके भक्ति और समाज दोनों को दिशा दी.

Written By: Ashish kumar Rai
Last Updated: September 14, 2025 18:28:36 IST

Hindi In Mughal Era: आज हिंदी दिवस है. ऐसे में यह सवाल दिलचस्प हो जाता है कि क्या मुग़ल हिंदी जानते थे या नहीं? दरअसल, जब मुग़ल भारत आए, तो अपनी मातृभाषा लेकर आए, लेकिन समय के साथ वे स्थानीय भाषाओं और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ गए.

वर्ष 1526 में पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराने के बाद, बाबर ने भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी. बाबर फरगना घाटी (आज का उज़्बेकिस्तान) से आया था और अपने साथ तुर्की और चगताई भाषाएँ लाया था. मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की मातृभाषा चगताई थी, जिसका स्पष्ट प्रमाण उसकी आत्मकथा बाबरनामा है, जो इसी भाषा में लिखी गई थी.

PM किसान योजना की 21वीं किस्त को लेकर सामने आया बड़ा अपडेट…कर लें ये काम, वरना अटक जाएगा आपका पैसा

प्रशासन की राजभाषा क्या थी?

  • समय के साथ, मुग़ल सम्राट भारतीय कला, संस्कृति और स्थानीय भाषाओं से गहराई से जुड़ गए. इसके बावजूद, प्रशासन और दरबार की राजभाषा फ़ारसी ही रही, जबकि उन्होंने तुर्की को अपनी पारिवारिक और मातृभाषा बनाए रखा.\
  • मुगल वंश के संस्थापक बाबर की मातृभाषा चगताई और तुर्की थी. लेकिन मध्य एशिया में फ़ारसी के गहरे प्रभाव और राजनीतिक संबंधों के कारण, मुगलों ने फ़ारसी को अपनी राजभाषा बना लिया.
  • बाबर का बाबरनामा चगताई भाषा में लिखा गया था.
  • अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल ने अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी फ़ारसी में लिखी थीं.
  • जहाँगीर की आत्मकथा जहाँगीरनामा भी फ़ारसी में है.
  • दारा शिकोह ने उपनिषदों और गीता का फ़ारसी में अनुवाद करवाया.

हिंदी और हिंदुस्तानी से संबंध

  • भारत में साम्राज्य के विस्तार के साथ, मुगलों का स्थानीय लोगों और संस्कृति के साथ संपर्क गहरा होता गया. संचार की आवश्यकता ने उन्हें हिंदुस्तानी भाषा की ओर आकर्षित किया.
  • हिंदुस्तानी संस्कृतनिष्ठ हिंदी, स्थानीय बोलियों, फ़ारसी और तुर्की का मिश्रण थी.
  • सैन्य छावनियों में इस भाषा का और विकास हुआ और इसे उर्दू के नाम से जाना जाने लगा.
  • उस युग में, हिंदुस्तानी और उर्दू को लगभग एक ही माना जाता था, बस अंतर था लिपि का – हिंदुस्तानी देवनागरी में लिखी जाती थी, जबकि उर्दू अरबी-फ़ारसी लिपि में.

हिंदी साहित्य का संरक्षण

मुगलों ने, हालाँकि प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए फ़ारसी का प्रयोग किया, हिंदी साहित्य और कवियों को भी संरक्षण दिया. इस काल में भक्ति आंदोलन अपने चरम पर था. तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना करके भक्ति और समाज दोनों को दिशा दी. सूरदास ने कृष्ण भक्ति साहित्य लिखा और अकबर के दरबार से जुड़े रहे. कबीर ने अपने दोहों और कविताओं के माध्यम से समाज की बुराइयों पर प्रहार किया.

बहादुर शाह ज़फ़र और हिंदुस्तानी साहित्य

अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र स्वयं एक अच्छे कवि थे. कुछ लोग उन्हें उर्दू कवि मानते हैं, तो कुछ उन्हें हिंदुस्तानी कवि. कुल मिलाकर, वे उस भाषा के निर्माता थे जो हिंदुस्तान की धरती पर पली-बढ़ी.

एक ने दो नहीं पूरे 47 बार Aamir Khan ने इस हसीना को किया Kiss, एक्ट्रेस की हालत देख सेट पर पसर गया था सन्नाटा

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?