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Kumari Selja on Haryana Floods Crop Damage: हरियाणा के ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में हाल ही में आई बाढ़ ने किसानों की फसलों को गहरी चोट दी है. खेतों में खड़ी नरमा, कपास और धान की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. इन हालातों का जायजा लेने पहुंचीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने भाजपा सरकार पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मुआवजे के नाम पर प्रदेश सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है.
किसानों के लिए 15 हजार रुपये प्रति एकड़ मजाक- सैलजा
कुमारी सैलजा ने ऐलनाबाद के कई प्रभावित गांवों का दौरा कर किसानों की समस्याएं सुनीं. उन्होंने कहा कि नरमा और कपास जैसी फसलों पर एक एकड़ की लागत 75 से 90 हजार रुपये तक आती है. ऐसे में 60 से 75 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा ही किसानों के नुकसान की आंशिक भरपाई कर सकता है. भाजपा सरकार द्वारा घोषित 15 हजार रुपये प्रति एकड़ को उन्होंने किसानों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा बताया.
बाढ़ प्रभावित गांवों का किया निरीक्षण
सांसद सैलजा ने गांव गुडियाखेड़ा का दौरा कर घग्गर ड्रेन टूटने से हुए जलभराव का निरीक्षण किया. खेतों में पानी भरा हुआ था और खड़ी फसलें तालाब में तब्दील हो चुकी थीं. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते ड्रेन की मरम्मत और मज़बूती का काम किया जाता तो किसानों को यह भारी नुकसान नहीं उठाना पड़ता। यह भाजपा सरकार की लापरवाही और कुप्रबंधन का नतीजा है.
उन्होंने किसानों से कहा कि उनकी आवाज़ को दिल्ली और चंडीगढ़ तक पहुंचाना उनका कर्तव्य है. साथ ही सरकार से तत्काल मुआवज़ा जारी करने और खेतों से पानी निकालने की ठोस व्यवस्था करने की मांग की.
“पोर्टल-पोर्टल का खेल बंद करो”- सैलजा
पत्रकारों से बातचीत के दौरान सैलजा ने कहा कि संकट की इस घड़ी में किसानों को राहत पहुंचाना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि “पोर्टल-पोर्टल का खेल”. उन्होंने कहा कि गेंहू की बिजाई का समय नज़दीक है, ऐसे में मुआवज़ा तुरंत दिया जाना चाहिए ताकि किसान अपनी अगली फसल समय पर बो सकें.
क्रिकेट मैच पर भी उठाए गंभीर सवाल
भारत-पाक क्रिकेट मैच के सवाल पर सैलजा ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार कहती है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ मैच की अनुमति देती है. उन्होंने इसे सरकार का दोहरा रवैया करार दिया और कहा कि राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए.
स्थायी समाधान की जरूरत- सैलजा
सैलजा ने कहा कि हर बार बाढ़ आने के बाद सरकार अस्थायी घोषणाएं कर देती है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाती. यही कारण है कि किसान बार-बार नुकसान झेलने को मजबूर हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि अब वक्त आ गया है कि सरकार राहत घोषणाओं से आगे बढ़कर व्यवस्थित योजना और ठोस नीतियों पर काम करे.