Red Fort Hiatory: दिल्ली में स्थित लाल किला भारत की आजादी का वो प्रतीक है जिसे लोग दूर-दूर से देखने आते हैं. ये किला कहीं न कहीं दिल्ली की शान भी कहलाया जाता है. दिलचस्प बात ये है कि हर साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री यहां से तिरंगा लहराकर देशवासियों को संबोधित करते हैं, लेकिन अब यह विश्व धरोहर स्मारक भी प्रदूषण की चपेट में आ गया है. राजधानी की हवा जिस तरह लगातार जहरीली होती जा रही है, उसका असर अब लाल किले की दीवारों पर भी देखा जा सकता है.
काली परत ने छिपाई सुंदरता
हाल ही में यूनेस्को की एक रिपोर्ट में कई हैरान कर देने वाले खुलासे हुए हैं। जिसमे कहा गया है कि किले की लाल बलुआ पत्थर की दीवारों पर एक मोटी काली परत जम गई है। यह परत न केवल दीवारों की सुंदरता को ढक रही है, बल्कि पत्थर की सतह को भी छिपा देता है। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन जगहों पर वाहनों का आवागमन ज़्यादा होता है, वहीं यह परत ज़्यादा गहरी पाई गई है। शोध में यह भी मिला है कि इन परतों में हानिकारक रसायन और भारी धातुएँ मौजूद हैं। वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये तत्व वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं से बनते हैं। ऐसे में लाल किले की नक्काशी और बारीक कलाकृतियाँ भी काली हो गई हैं.
पहले इस रंग का था लाल
बहुत कम लोग जानते हैं कि यह किला शुरू से ही लाल नहीं था, जब मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1638 में इसका निर्माण शुरू किया तो इसे सफेद चूने के पत्थरों और संगमरमर से सजाया गया था।उन दिनों यह किला सफ़ेद रंग में चमकता हुआ दिखता था और इसकी भव्यता दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थी। समय के साथ, किले की दीवारों पर लगी सफ़ेद चूने की परत कमज़ोर पड़ने लगी।