Mughal History: मोहब्बत की राह कभी आसान नहीं रही. और जो लोग मुग़ल शहज़ादियों से प्यार करते थे, अगर पकड़े जाते तो उनकी मौत तय थी. आलमगीर औरंगज़ेब ने खुद हरम पर धावा बोला. उसने बहन रोशनआरा के प्रेमी को पकड़ लिया और उसे मौत के घाट उतार दिया. बाकी नौ प्रेमियों में से पाँच को हनफ़ी क़ानून के तहत अपनी जान देनी पड़ी. चार की जान बेटी ज़ेबुन्निसा की मदद से बच गई. अब आप सोच रहे होंगे कि ज़ेबुन्निसा ने उन्हें क्यों बचाया? बड़ी बुआ जहाँआरा के मुताबिक़, इन चारों का भी ज़ेबुन्निसा से प्रेम प्रसंग था.
गद्दी को लेकर हुआ था बवाल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि औरंगज़ेब की दो सगी बहनों जहांआरा और रोशनआरा की शादी नहीं हुई थी. शाहजहां के शासनकाल में जहांआरा, जहांआरा की बेगम थीं. शाहजहां के कैद होने के बाद, जहांआरा किले में अपने पिता की देखभाल करती रहीं. औरंगजेब ने मल्लिका-ए-जहां अपनी दूसरी बहन रोशनआरा को बनाया. गद्दी की लड़ाई में वो औरंगज़ेब की तरफ़ थीं. लेकिन शाहजहां की मृत्यु के बाद, औरंगज़ेब ने रोशनआरा से यह ज़िम्मेदारी वापस ले ली और अपनी बड़ी बहन जहाँआरा को सौंप दी.
शाहजहां के मरने के बाद जहांआरा का हाल
जहांआरा अब अकेलेपन से ग्रस्त थीं. उन्होंने साढ़े छह साल तक आगरा के किले में कैद अपने पिता शाहजहां की देखभाल की. 22 जनवरी 1666 को उनकी मृत्यु हो गई. पिता और पुत्र के बीच भले ही जीवित रहते हुए अच्छी बनती न रही हो, लेकिन पिता की मृत्यु के बाद औरंगज़ेब ने शाहजहां को शाही परंपरा के अनुसार दफ़नाने का आदेश दिया.