बॉलीवुड के चर्चित फिल्ममेकर अनुराग कश्यप अपनी बेबाकी और खुलकर बात करने के अंदाज के लिए जाने जाते हैं. वो न केवल अपनी फिल्मों को लेकर बल्कि इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दों पर भी अपनी राय रखते हैं. इन दिनों वो अपनी आगामी फिल्म ‘निशानची’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं, जो 19 सितंबर को रिलीज होने जा रही है. इस दौरान एक इंटरव्यू में अनुराग कश्यप ने बॉलीवुड में एक्ट्रेसेज की टाइपकास्टिंग को लेकर बड़ा बयान दिया है, जो फिल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है.
एक्ट्रेसेज को उम्र के साथ बांधना कहां तक सही?
फिल्मीज्ञान को दिए एक इंटरव्यू में अनुराग कश्यप ने कहा कि बॉलीवुड में हीरोइनों को अक्सर शादी, मां बनने या उम्र बढ़ने के बाद टाइपकास्ट कर दिया जाता है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर क्यों सिर्फ महिलाओं के करियर को इन निर्णयों से जोड़ा जाता है, जबकि पुरुष एक्टर्स पर ऐसा कोई दबाव नहीं होता.
उनका कहना है, “मां का किरदार निभाने के लिए हीरोइनें तभी याद की जाती हैं जब वे 50 के पार हो जाती हैं. फिर भी उन्हें सिर्फ एक सीमित खांचे में फिट करने की कोशिश होती है. लेकिन क्या 50 साल की औरतें हीरोइन नहीं हो सकतीं?”
शेफाली शाह और करीना कपूर का उदाहरण
अनुराग कश्यप ने एक्ट्रेस शेफाली शाह का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने ‘दिल्ली क्राइम’ जैसी सीरीज में दमदार रोल प्ले किया है और किसी भी हीरो से कम नहीं थीं. वहीं करीना कपूर भी आज भी लीड रोल में फिट बैठती हैं. उन्होंने इस मानसिकता पर सवाल उठाया कि एक उम्र के बाद महिलाओं को सिर्फ सहायक किरदारों तक सीमित क्यों कर दिया जाता है.
नीना गुप्ता का जिक्र
जब इंटरव्यूअर ने नीना गुप्ता का नाम लिया, तो अनुराग कश्यप ने सहमति जताते हुए कहा, “नीना गुप्ता ने ‘बधाई हो’ में कमाल किया. क्या पहले किसी ने उन्हें ऐसे देखा था? उम्र और जेंडर को सीमा बनाना कहां की समझदारी है?”
नीना गुप्ता का वो ट्वीट आज भी याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने लिखा था, “हमारी उम्र के रोल तो हमें ही दे दो भाई.” ये ट्वीट तब वायरल हुआ था जब ‘सांड की आंख’ में बुजुर्ग महिलाओं के रोल के लिए युवा एक्ट्रेसेस को कास्ट किया गया था.