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Navratri 2025: नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ पर क्यों बोया जाता है जौ? रंग और आकार बताते है शुभ-अशुभ संकेत

Navratri 2025 22 सितंबर सोमवार शारदीय नवरात्रि होने जा रहे हैं और नवरात्रि के पहले दिव कलश स्थापना के साथ-साथ जौ भी बोय की परंपरा है. जौ को समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है. जौ के अंकुर शुभ-अशुभ संकेत लेकर आते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का संकेत देते हैं. तो चलिए जानते हैं क्या होते हैं संकेत

Written By: Chhaya Sharma
Edited By: JP YADAV
Last Updated: 2025-09-20 16:03:31

Shardiya Navratri 2025: हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और इस साल यह तिथि 22 सितंबर सोमवार के दिन देर रात 01:23 बजे से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 23 सितंबर देर रात 02: 55 बजे तक रहेगी, ऐसे में 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे है और नवरात्र का पहला व्रत भी इसी दिन करा जाएगा. शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में भक्त व्रत रखते है और पूरे विधि विधान से माता दुर्गा के 9 सवरूपों की पूजा करते हैं. व्रत के अलावा शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना के साथ-साथ जौ भी बोय की परंपरा है. जौ को समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है. जौ के अंकुर शुभ-अशुभ संकेत लेकर आते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का संकेत देते हैं. तो चलिए जानते हैं क्या होते हैं संकेत

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन होती है घटस्थापना के जौ बोने की परंपरा

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसे कलश स्थापना भी कहता हैं. इसके अलावा इस दिन जौ भी बोया जाता है. कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि में जौ बोने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और घर का भंडार हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है. लेकिन नवरात्रि में जौ क्यों बोय जाते हैं, तो चलिए जानते हैं, इसके पीछे की कथा.

जौ क्यों बोय जाते हैं नवरात्रि में जौ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षसों और दैत्यों का पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ गया था, जो माता दुर्गा ने उनका नाश किया था और मानव जाति की रक्षा की, लेकिन देवी दुर्गा और राक्षसों के बीच युद्ध के दौरान पृथ्वी पर अकाल पड़ गया और चारों ओर सूखा हो गया. वहीं देवी दुर्गा द्वारा किए गए राक्षसों के विनाश के बाद, पृथ्वी फिर से हरी-भरी हो गई और तब पहले जौ की फसल उगाई गई. यही वजह है कि जौ को समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है और शारदीय नवरात्रि में इसे बोया जाता है.

नवरात्रि में घटस्थापना के दौरान जौ की पूजा क्यों होती है?

इसके अलावा एक ओर मान्यता है कि, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो सबसे पहले जौ उगाई गई. इसलिए कहा जाता है कि नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना से पहले जौ की पूजा जरूरी है और इसे कलश में भी रखना चाहिए. नवरात्रि में जौ बोने की परंपरा पृथ्वी पर समृद्धि का संदेश देती है.

शारदीय नवरात्रि  में बोए गए जौ का क्या है महत्व?

  • नवरात्रि में बोया गए जौ अगर अच्छी तरह से न उगे या उसका रंग काला या पीला हो, तो यह बेहद अशुभ संकेत होता
  • नवरात्रि में बोया गए जौ का टेढ़ा-मेढ़ा उगना भी अशुभ होता है.
  • नवरात्रि में बोया गया जौ, हरा या आंशिक रूप से सफेद हो, तो यह बेहद शुभ संकेत
  • नवरात्रि में बोया गया जौ अच्छी तरह से अंकुरित होकर विकसित होता है, तो मतलब घर में समृद्धि और खुशहाली आएगी.
  • नवरात्रि में बोया गया जौ अच्छी तरह उगता है, तो इसका मतलब है कि आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होने वाली है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. India News इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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