Laila-Majnu Story: लैला-मजनू इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन आज भी उनके प्यार की मिसाल कायम है. प्यार क्या होता है और क्यों होता है ये लैला मजनू ने सिखाया. इनकी मोहब्बत की शिद्दत देख हर किसी की आंखें नम हो जाती थीं, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लैला-मजनू की दरगाह राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ़ तहसील के बिंजौर गांव गांव में है जो भारत-पाकिस्तान सीमा से मात्र 2-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह दरगाह सच्चे प्रेम का प्रतीक और प्रेमियों का तीर्थस्थल माना जाता है. आइए जान लेते हैं इनसे जुड़ी ऐसी बातें जो आप शायद ही जानते होंगे.
इस तरह निकल गई जान
किंवदंती के मुताबिक, लैला और मजनू सातवीं शताब्दी के अरब प्रेमी थे. फ़ारसी लेखक निज़ामी ने अमर की गई उनकी प्रेम कहानी सच्चे प्रेम और त्याग की एक मिसाल है. कुछ लोककथाओं की माने तो, सामाजिक बाधाओं और पारिवारिक विरोध के कारण लैला और मजनू अलग हो गए थे. लैला की जबरन किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करा दी गई, लेकिन वो मजनू के प्रति वफ़ादार रही.
वहीं प्यार में पागल मजनू जगह-जगह भटकता रहा और उसे “मजनू” का नाम मिला, जिसका असल मतलब पागल ही होता है. कहा जाता है कि इस कहानी का भारत से संबंध तब जुड़ा जब लैला और मजनू अपने परिवार और समाज से भागकर श्री गंगानगर के बिंजौर गाँव पहुँचे. रेगिस्तानी इलाके में पानी की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो गई और स्थानीय लोगों ने उन्हें एक साथ दफना दिया.
प्रेमियों के लिए मजार की अहमियत
वहीं किंवदंती के मुताबिक लैला के भाई ने मजनू की हत्या कर दी थी और लैला खुद मजनू की लाश के पास ही मर गई थी. लेकिन, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह दरगाह असल में पीर बगदाद शाह की दरगाह हो सकती है, जिन्हें स्थानीय लोग लैला-मजनू की कहानी से जोड़ते हैं. इस दावे के बावजूद, इस दरगाह की लोकप्रियता और प्रेमियों की भक्ति कम नहीं हुई है.