Palestinian: जहां एक तरफ इजराइल सगातार गाजा पर हमले कर रहा है. वह गाजा पर पूरे तरह से कब्जा का प्लान भी बना लिया है. नेतन्याहू की सेना इस पर काम भी कर रही है. वहीं दूसरी तरफ फ्रांस ने आधिकारिक तौर पर फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता दे दिया.राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को इसका एलान किया.यह कदम फ्रांस और सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान उठाया गया, जिसका उद्देश्य इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष (Israel-Palestine conflict) के द्वि-राज्य समाधान के लिए समर्थन बढ़ाना था.
मैक्रों ने किया एलान
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) हॉल में उपस्थित 140 से ज़्यादा नेताओं ने फ़्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों की घोषणा की सराहना की. मैक्रों ने कहा, “मध्य पूर्व और इज़राइलियों व फ़िलिस्तीनियों के बीच शांति के लिए अपने देश की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, मैं आज घोषणा करता हूं कि फ़्रांस फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता देता है.”
फैसले का कितना होगा ?
हालांकि इस बैठक और फ़िलिस्तीनी राज्य की विस्तारित मान्यता का ज़मीनी स्तर पर कोई वास्तविक प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है, जहां इज़राइल गाज़ा पट्टी में एक और बड़ा आक्रमण कर रहा है और क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट पर बस्तियों का विस्तार कर रहा है.
राज्य का दर्जा एक अधिकार है-एंटोनियो गुटेरेस
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फ़िलिस्तीनियों के लिए राज्य का दर्जा एक अधिकार है, न कि कोई पुरस्कार. यह इज़राइली सरकार के तर्क के विपरीत प्रतीत होता है, जिसका तर्क है कि राज्य का दर्जा देने से हमास को फ़ायदा होगा, जिसने 7 अक्टूबर को गाज़ा पर हमला किया था जिससे दो साल पहले युद्ध शुरू हुआ था.
फ़िलिस्तीनियों ने किया इस फैसले का स्वागत
ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने रविवार को फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता दे दी, और फ़िलिस्तीनियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कुल 10 देश ऐसा करेंगे. 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र के लगभग तीन-चौथाई देश फ़िलिस्तीन को मान्यता देते हैं, लेकिन प्रमुख पश्चिमी देशों ने हाल तक ऐसा करने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि यह केवल इज़राइल के साथ बातचीत के ज़रिए ही संभव है. फ़िलिस्तीनियों ने मान्यता की दिशा में इन कदमों का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि ये किसी दिन स्वतंत्रता की ओर ले जाएंगे.
इज़राइल ने पहले भी किया विरोध
इज़राइल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार युद्ध से पहले भी फ़िलिस्तीनी राज्य का विरोध करती थी. अब, उन्होंने कहा है कि इस कदम से हमास को फ़ायदा होगा, जो एक उग्रवादी समूह है और अभी भी गाज़ा के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण रखता है. उन्होंने संकेत दिया है कि इज़राइल इसके जवाब में एकतरफ़ा कदम उठा सकता है, जिसमें पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा करना भी शामिल है, जिससे फ़िलिस्तीनी राज्य का सपना और दूर हो जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफ़न दुजारिक ने ऐसी धमकियों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इज़राइल की कार्रवाइयों के बावजूद द्वि-राज्य समाधान प्राप्त करने के प्रयास जारी रहने चाहिए. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होना होगा जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं, और हम धमकियों और धमकी से विचलित नहीं हो सकते.”