रणनीति की कमी और शेरशाह सूरी की चालाकी ने छीना मुग़लों का ताज, बाबर के बेटे को मिली मात!
Humayun Mughal Emperor: हुमायूं मुगल बादशाह बाबर का बेटा था। बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी, लेकिन हुमायूं उसे संभाल नहीं पाया। 1539 में चौसा की लड़ाई में शेरशाह सूरी से उसे हार मिली। इसके बाद 1540 में बिलग्राम की लड़ाई हुई, जिसमें भी हुमायूं हार गया। शेरशाह पूरी तैयारी से आया था, जबकि हुमायूं की सेना कमजोर और बिना रसद के थी। उसके भाइयों ने भी मदद करने से मना कर दिया। अचानक शेरशाह ने हमला किया और मुगल सेना बिखर गई। डर और अफरातफरी में हुमायूं युद्ध छोड़कर भाग गया और अपनी पत्नी को भी वहीं छोड़ दिया। इस हार के बाद हुमायूं को भारत से भागकर 15 साल तक निर्वासन में रहना पड़ा।
हुमायूं का जीवन
हुमायूं बाबर का बेटा था। उसके बारे में कहा जाता है कि वह जीवन भर संघर्ष करता रहा और बार-बार हार का सामना करता रहा। बाबर ने भारत में मुगल सत्ता की नींव रखी थी लेकिन हुमायूं उस सत्ता को संभालने में असफल रहा।
बाबर की सीख
बाबर ने अपने जीवन में राजपूतों और अफगानों के साथ कई लड़ाई लड़ी। उसे यह समझ आ गया था कि मुगलों के लिए राजपूतों से ज्यादा खतरनाक दुश्मन अफगान हो सकते हैं। इस अनुभव को बाबर ने अपने बेटे हुमायूं को भी बताया था, लेकिन हुमायूं इस सीख से बहुत लाभ नहीं उठा सका।
चौसा का युद्ध (1539)
26 जून 1539 को चौसा का युद्ध हुआ। इस युद्ध में हुमायूं को अफगान सरदार शेरशाह सूरी से करारी हार मिली। यह हार हुमायूं की कमजोरियों को साफ दिखाती थी और आगे आने वाली घटनाओं की नींव बन गई।
बिलग्राम का युद्ध (1540)
1540 में बिलग्राम की लड़ाई हुई। इस युद्ध में भी शेरशाह ने हुमायूं को हरा दिया। हार इतनी बड़ी थी कि हुमायूं को अपना राज्य छोड़कर भागना पड़ा और उसे भारत से बाहर निकलना पड़ा।
शेरशाह बनाम हुमायूं
इस युद्ध में दोनों तरफ की सेना करीब 2 लाख के आसपास थी। शेरशाह पूरी तैयारी के साथ गंगा के किनारे डटा हुआ था जबकि हुमायूं की तैयारी अधूरी थी। दोनों सेनाएं कई दिनों तक आमने-सामने खड़ी रहीं लेकिन निर्णायक क्षण में शेरशाह ज्यादा मजबूत साबित हुआ।
हार की वजह
हुमायूं की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी रणनीति थी। उसके पास रसद और खाने-पीने की सामग्री कम हो गई थी। उसके भाइयों ने भी मदद करने से इंकार कर दिया। इस स्थिति का फायदा उठाकर शेरशाह ने अचानक हमला कर दिया और मुगल सेना टूट गई।
हुमायूं का भागना
शेरशाह के हमले से मुगल सेना बुरी तरह घबरा गई। हजारों सैनिक गंगा में कूदकर मारे गए। इस अफरातफरी में हुमायूं भी युद्धभूमि छोड़कर भाग निकला। यहां तक कि उसने अपनी पत्नी को भी वहीं छोड़ दिया। इस हार के बाद हुमायूं को भारत से 15 साल तक निर्वासन में रहना पड़ा।