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Akanksha Murder Case: उत्तर प्रदेश के कानपुर में ऐसी खौफनाक मर्डर मिस्ट्री का सच सामने आया है, जिसने सब को हैरत में डाल दिया. हम बात कर रहें हैं 19 साल की आकांक्षा की, यह केवल क्राइम स्टोरी नहीं, बल्कि उस मां की जिद और संघर्ष की दास्तान हैं, जिसने पुलिस की लापरवाही के बावजूद अपनी बेटी के कातिल को बनेकाब किया.
सपने से शुरू हुई बेचैनी
22 जुलाई की रात आकांक्षा की मां विजयश्री ने एक अजीब सपना देखा. उन्होंने बेटी को नदी किनारे अकेले बैठे देखा और घबराकर सुबह उसे फोन किया. लेकिन बार-बार कॉल करने पर भी मोबाइल बंद मिला. बड़ी बहन प्रतीक्षा ने भी कोशिश की, पर कोई जवाब नहीं आया. परिवार की चिंता यहीं से गहराने लगी.
पुलिस की लापरवाही से भी नहीं हिला मां का हौसला
23 जुलाई को विजयश्री कानपुर पहुंचीं और थाने-थाने भटकने लगीं। बर्रा, नौबस्ता और हनुमंत विहार थाना हर जगह उन्हें सिर्फ टालमटोल मिला. पुलिस ने 8 अगस्त को गुमशुदगी दर्ज की, लेकिन यह कहकर मामला हल्के में लिया कि लड़की किसी बॉयफ्रेंड के साथ चली गई होगी, लौट आएगी. लेकिन मां को इस बात का यकीन था कि कुछ बड़ी अनहोनी हुई है. इसी यकीन ने उन्हें खुद जांच शुरू करने पर मजबूर कर दिया.
झूठा संदेश और बढ़ते शक
जिस रेस्टोरेंट में आकांक्षा काम करती थी, वहां पता चला कि “माही” नाम से मैसेज आया था कि वह लखनऊ में नई नौकरी कर रही है. मां को यह खबर शुरु से ही अजीब लगा. धीरे- धीरे उनका शक गहरा हो गया और वह बेटी के किराए का घर ढूंढते- ढ़ूढते वहां पहुंचीं, जहां पड़ोसियों ने उन्हें बताया कि 21 जुलाई के बाद आकांक्षा को नहीं देखा गया है. 5 सितंबर को उसका बॉयफ्रेंड सूरज पूरा सामान लेकर कमरा खाली कर गया और तभी बेटी का काला ट्रॉली बैग भी गायब हो गया.
चैट में की गई गलती से टूटा राज
सूरज ने आकांक्षा का मोबाइल अपने कब्जे में रखकर परिवार को मैसेज भेजने शुरू किए, ताकि वे यही समझें कि बेटी जिंदा हैं, लेकिन गलती तब हुई जब उसने आकांक्षा की बड़ी बहन को मैसेज भेजा और लिखा कि भइया, मैं लखनऊ में हूं. दरअसल, आकांक्षा कभी अपनी बहन को “भइया” नहीं कहती थी. यही छोटी-सी गलती सूरज की बड़ी चूक बन गई और परिवार को यकीन हो गया कि कुछ गलत हो चुका है.
मां ने किया सच का खुलासा
विजयश्री ने सारे सबूत जुटाकर 1076 पर शिकायत दर्ज कराई. दबाव बढ़ा तो आखिरकार पुलिस हरकत में आई और 15 सितंबर को सूरज को पूछताछ के लिए बुलाया. कॉल डिटेल्स और सबूतों के सामने सूरज टूट गया और उसने हत्या की पूरी कहानी कबूल कर ली.
कैसे हुई हत्या?
सूरज ने अपने दोस्त आशीष के साथ मिलकर आकांक्षा की हत्या की थी. दोनों ने उसकी लाश को काले सूटकेस में भरकर यमुना नदी में फेंक दिया. इसके बाद सूरज लगातार मोबाइल से परिवार को गुमराह करता रहा, ताकि शक उस पर न आए. विजयश्री की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने समय रहते कदम उठाए होते तो शायद मेरी बेटी आज जिंदा होती. मैंने खुद सबूत जुटाए, दर-दर भटकी, लेकिन आखिरकार बेटी की लाश ही मिली. 16 सितंबर को अपहरण और हत्या की रिपोर्ट दर्ज हुई. सूरज और उसका साथी आशीष अब जेल में हैं.