मुगल साम्राज्य को अक्सर ताकत का प्रतीक माना जाता था माना जाता है यहां पर बड़े-बड़े महल, ताजमहल जैसी खूबसूरत और मजबूत किले हमें इसकी महानता का एहसास कराते हैं लेकिन इस चमक के पीछे काला सच भी छुपा है. सिंघासन की दौड़ में पिता और बेटे जब आमने-सामने आ जाते हैं भाई भाई एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते तो उनके हिस्से में सिर्फ कैद आती है और यह कैदखाने ही उनके जीवन का आखिरी पड़ाव बन जाते हैं.
अकबर और सलीम पुत्र और पिता का हुआ था टकराव
अकबर का शासन काल जितना मजबूत माना जाता है उतना ही ज्यादा चैलेंजिंग माना जाता है उनके बेटे सलीम जो आगे चलकर जहांगीर बने अपने पिता से कई बार भीड़ गए थे. सलीम का विद्रोही स्वभाव अकबर को हमेशा से खटकता था जब सलीम ने खुलकर बगावत की तो अकबर ने उन्हें नजर बंद कर दिया. इस बात ने साफ कर दिया कि तख्त की चाहत खून के रिश्ते में खटास ला सकती है. पिता-पुत्र का यह टकराव मुग़ल इतिहास के सबसे बड़े पारिवारिक संघर्षों में गिना जाता है.
जहांगीर और खुसरो
जहांगीर के बेटे खुसरो ने भी अपने पिता के खिलाफ जाकर बगावत की क्योंकि उन्हें तख्त चाहिए था, उसके लिए उन्होंने सेना तक खड़ी कर दी थी लेकिन बगावत की कीमत उन्हें बहुत भारी पड़ी. हारने के बाद जहांगीर ने अपने बेटे को कैद कर लिया इतिहास कारों के अनुसार खुसरो केवल कैद में ही नहीं डाला गया बल्कि उनकी आंखें भी फोड़ दी गई थी . यह घटना दिखाती है कि मुगल शाही परिवार में सत्ता की भूख की वजह से काफी ज्यादा लड़ाई होती है.
भाई भाई बन गए दुश्मन
शाहजहां के समय की लड़ाई ने पूरे साम्राज्य को हिला दिया था उनके चार बेटे औरंगज़ेब, दारा शिकोह, मुराद और शुजा – ताज पाने के लिए आमने-सामने आ गए थे. इसकी खून-खराबे में भाइयों ने एक दूसरे को धोखा दिया और युद्ध किया और हारने वाले को कैद कर लिया गया. दारा शिकोह की हत्या और मुराद को भी सजा मिली. औरंगजेब ने सत्ता की लड़ाई में केवल अपने भाइयों को ही खत्म नहीं किया बल्कि अपने पिता शाहजहां को भी कैद कर लिया था. यह दौर साबित करता है कि मुग़ल परिवार में प्यार से ज्यादा ताक़त का महत्व था.