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बिरयानी ही नहीं, मुगल दरबार में परोसे जाते थे ये अनोखे पकवान

मुगल खानपान सिर्फ खाने का तरीका नहीं था, बल्कि संस्कृति और कला का अद्भुत संगम था. इसने भारत की पाक परंपरा को समृद्ध बनाया और कई अनोखे व्यंजनों को जन्म दिया.

Written By: Anuradha Kashyap
Last Updated: September 25, 2025 13:14:05 IST

भारतीय खानपान का समृद्ध ट्रेडीशन में मुगल काल का सबसे बड़ा योगदान रहा है,मुगल दरबार सिर्फ राजनीतिक कला अपने हरम के लिए ही नहीं बल्कि शानदार भोजन के लिए भी जानी जाता था. उस समय की रसोई सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं थी बल्कि उसमें साहित्य, सुगंध संस्कृति की भी झलक दिखाई देती थी. आमतौर पर लोग मुगल खानपान को केवल बिरयानी और कबाब तक सीमित रखते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उनके दरबार में कुछ ऐसे व्यंजन परोसे जाते थे जिनके बारे में सोचकर आपके मुंह में भी पानी आ जाएगा.

बिरयानी के आगे भी थी एक दुनिया

जब हम मुगल खानपान की बात करते हैं तो सबसे पहले बिरयानी का नाम ही लोगों के दिमाग में आता है लेकिन शाही रसोई की दुनिया इससे कई आगे थी बिरयानी के अलावा मुगल रसोई में निहारी, रोगन जोश, शाही कबाब, और पेशावर पुलाव जैसी लजीज पकवान बनाए जाते थे.  केसर, जायफल, जावित्री और इलायची जैसी महंगी मसालों का इस्तेमाल होता था. इन डिसेज को धीमी आंच पर पकाया जाता था ताकि उनकी स्वाद और खुशबू पूरा दरबार को महका दे यही कारण था कि मुगल खाने को धीमी आंच की कला  भी कहा जाता था. 

शाही मिठाइयों का था अलग स्वाद

शाही डिशेज में नमकीन और मसालेदार व्यंजन ही नहीं होते थे यहां पर के मीठे पकवानों की जगह भी खास थी.शाही टुकड़ा, फिरनी, जर्दा, बादाम हलवा और खुरमा जैसे डेज़र्ट्स मुगल दरबार की रौनक बढ़ाते थे. इन मिठाइयों की खासियत थी कि इनमें सूखे मेवे, केसर, गुलाब जल जैसे महका देने वाली चीजों का प्रयोग होता था और हर डिश को खूबसूरती से सजाया जाता था कि वह खाने के साथ-साथ देखने में भी लाजबाव लगे. 

 विदेशी और भारतीय स्वाद का मेल
मुग़ल रसोई सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रही बल्कि इसने मध्य एशिया और विदेशी व्यंजनों का भी गहरा मध्य एशियाई और फारसी व्यंजनों का गहरा असर था.  कुर्मा, यखनी, और सीक कबाब जैसी डिशेज फारसी अंदाज से प्रेरित थीं, जबकि खिचड़ी, दाल और रोटी जैसे भारतीय व्यंजन भी रसोई का हिस्सा थे.  मुगल दरबार की थाली सिर्फ खाना नहीं, बल्कि एक अनुभव हुआ करती थी, सोने-चांदी की थालियों में परोसा गया खाना और हर डिश के साथ चटनी ,  सलाद उस डिश में चार-चाँद लगा देती है.

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