Sharadiya Navratri 2025 Day 5 Worship: शारदीय नवरात्रि का हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती हैं. आज नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा का खास महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा-पाठ करने से निसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही परिवार में भी खुशियों का वास होता है. इस दिन अगर पूरे सच्चे मन से व्रत और पूजा की जाए, तो संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही संतान के जीवन में भी समृद्धि और दीर्घायु बनी रहती है.
कौन है स्कंदमाता?
देवी पार्वती को मां स्कंदमाता के नाम से तब जाना जाने लगा जब वे भगवान स्कंद, जिन्हें भगवान कार्तिकेय या भगवान मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है, की माता बनीं. माना जाता है कि वे बुध ग्रह की स्वामी हैं और जो लोग उनकी पूजा करते हैं उन्हें भगवान कार्तिकेय की पूजा का भी फल मिलता है.
स्कंदमाता का स्वरूप
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी स्कंदमाता एक क्रूर सिंह के रूप में कमल के फूल पर विराजमान हैं, अपनी गोद में शिशु मुरुगन को लिए हुए हैं और उन्हें चार भुजाओं वाला दर्शाया गया है. वे अपने ऊपरी दो हाथों में कमल के फूल लिए हुए हैं और अपना दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रखती हैं. वे मातृ प्रेम, देखभाल और पालन-पोषण का प्रतीक हैं.
संतान सुख के लिए उपाय
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जो लोग काफी समय से संतान सुख की प्राप्ति करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साथ ही पीले चावल का दान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. पांचवां दिन केवल साधना का ही नहीं बल्कि संतान सुख के लिए भी महत्वपूर्ण है. अगर प्राथना सच्चे मन से की गई तो दंपत्ति को जल्द संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही घर में सुख समृद्धि का वास होता है.