Upendra Kushwaha: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में एक बड़ा विवाद छिड़ गया है. जन सुराज (जदयू) के सूत्रधार प्रशांत किशोर द्वारा वरिष्ठ जदयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी पर 200 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब अपने करीबी मंत्री से जवाब मांगने का दबाव बढ़ रहा है.
जदयू प्रवक्ता और सहयोगी दलों ने भी दबाव बनाया
सबसे पहले, जदयू विधान पार्षद और प्रवक्ता नीरज कुमार ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी से इन गंभीर आरोपों पर खुलकर जवाब मांगा. इसके बाद, जदयू के सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ा दिया.
शुक्रवार को पटना स्थित रालोम कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए, कुशवाहा ने कहा कि वह जदयू प्रवक्ता के बयान का समर्थन करते हैं. भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री की “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पार्टी की राय और सुझावों पर ध्यान देना चाहिए.
प्रशांत किशोर ने ‘दो साल में 200 करोड़ रुपये की संपत्ति’ अर्जित करने का आरोप लगाया
कुछ दिन पहले पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि मंत्री अशोक चौधरी ने पिछले दो सालों में लगभग 200 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति अर्जित की है. उनके अनुसार, ये संपत्तियाँ अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी की सगाई और शादी के बीच खरीदी गई थीं. ये ज़मीनें ‘मानव वैभव विकास ट्रस्ट’ के नाम पर खरीदी गई थीं, जो समस्तीपुर से लोजपा (रालोद) सांसद शांभवी चौधरी के दिवंगत ससुर आचार्य कुणाल किशोर के स्वामित्व वाला ट्रस्ट है. वर्तमान में, इसकी ट्रस्टी उनकी सास अनीता कुणाल हैं.
जदयू की ‘अग्नि परीक्षा’ में अशोक चौधरी
प्रशांत किशोर के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि अशोक चौधरी को इस पूरे मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. उन्होंने इसे पार्टी के लिए ‘अग्नि परीक्षा’ बताया। नीरज कुमार ने कहा, “इससे पहले पार्टी के किसी भी मंत्री पर इतने गंभीर आरोप नहीं लगे। यह सामान्य नहीं है.”
मंत्री अशोक चौधरी का पलटवार
अशोक चौधरी ने सभी आरोपों का साफ़ खंडन किया है. उन्होंने कहा कि उनकी संपत्ति से जुड़ी सभी जानकारी पहले से ही सार्वजनिक है. चौधरी ने प्रशांत किशोर से माफ़ी मांगने की माँग की है और उनके ख़िलाफ़ ₹100 करोड़ का मानहानि का नोटिस भी भेजा है.
चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा
बिहार में विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, ऐसे में सत्ताधारी दल के एक वरिष्ठ मंत्री पर लगे ऐसे आरोप राजनीतिक घमासान को और तेज़ कर रहे हैं. विपक्ष इस मुद्दे को मुद्दा बनाकर नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोल रहा है, वहीं सत्ताधारी दल के भीतर भी जवाबदेही की माँग उठ रही है. यह मुद्दा आने वाले दिनों में चुनावी बहस का केंद्र बन सकता है.
चमचमाते सिक्के, जेवरात…इस देश की रातों-रात खुली किस्मत, सोना उगल रहा यह समुद्र!