रिसर्च का बड़ा खुलाया, अब सिर्फ न्यूट्रिएंट्स ही नहीं क्लाइमेट चेंज भी बना लड़कियो के पीरियड्स डिले होने का कारण
How Climate Change Can Cause Hormonal Imbalance: नई रिसर्च में पाया गया है किहवा-पानी,गर्मी, नमी और पॉल्यूशन लड़कियों की पीरियड्स की उम्र पर असर डाल रहे हैं। पहले माना जाता था कि यह केवल न्यूट्रिएंट्स और वज़न पर तय करता है। लेकिन अब पता चला है कि मौसम और प्रदूषण भी हार्मोनल बदलाव लाते हैं। जाँच में भारत के कई राज्यों और NASA के डेटा को शामिल किया गया। इसमें दिखा कि नम इलाकों में पीरियड्स जल्दी आते हैं, गर्म इलाकों में देर से और ठंडे इलाकों में भी देर से शुरू होते हैं।
हवा-पानी और हार्मोन का ठीक होना
गर्मी, उमस और पॉल्यूशन सिर्फ़ हमारी साँस या स्किन को ही नहीं बल्कि शरीर के हार्मोनस को भी बिगाड़ सकते हैं। नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बदलता मौसम लड़कियों की पीरियड्स की उम्र पर असर डाल रहा है।
पहले क्या माना जाता था
पहले यह माना जाता था कि पीरियड्स की शुरुआत ज़्यादातर न्यूट्रिएंट्स और शरीर के वजन पर तय करती है। यानी अगर बच्ची का वज़न ज़्यादा होगा तो पीरियड्स जल्दी शुरू हो सकते हैं और अगर न्यूट्रिएंट्स की कमी होगी तो देर से।
नई रिसर्च में नया सच
बांग्लादेश की नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों ने पता लगाया है कि सिर्फ़ न्यूट्रिएंट्स ही नहीं बल्कि गर्मी, नमी और पॉल्यूशन भी पीरियड्स की उम्र तय करने में बड़ा रोल निभाते हैं।
डेटा कहाँ से लिया गया
इस जाँच में 1990 से 1993 और 2019 से 2021 तक के डेमोग्राफिक और हेल्थ सर्वे (DHS) प्रोग्राम और NASA के डेटा का इस्तेमाल किया गया। भारत के कई राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को इसमें शामिल किया गया।
गर्म और नम इलाकों का असर
स्टडी में पाया गया कि नम इलाकों में लड़कियों के पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाते हैं। वहीं बहुत गर्म इलाकों जैसे कर्नाटक, केरल और राजस्थान में पीरियड्स देर से आने लगे। लगातार गर्मी से शरीर पर स्ट्रेस बढ़ता है और हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है।
ठंडे इलाकों का असर
ठंडे इलाकों में शरीर में फैट देर से जमा होती है क्योंकि हार्मोन धीरे-धीरे बढ़ते हैं। इसकी वजह से यहाँ लड़कियों के पीरियड्स भी देर से शुरू होते हैं।
क्यों है चिंता की बात
अगर पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाएँ तो आगे चलकर मोटापा, डायबिटीज़ और हार्मोनल बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है। वहीं अगर बहुत देर से शुरू हों तो यह टेंशन या वीकनेस की कमी हो सकती है। रिसर्च कहती है कि क्लाइमेट चेंज को स्वास्थ्य नीति में शामिल करना और लड़कियों की सेहत व न्यूट्रिएंट्स पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।