Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से रिश्तों पर खुलकर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव याद आते हैं, उनसे दिल के रिश्ते थे. हमारे बीच धर्म-जाति कुछ नहीं था. ये भी नहीं था कि वो कहां थे, मैं कहां हूं. बस ये कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं, जो न जाने क्यों हो जाते हैं. उनके जाने से जिंदगी में कमी आ गई. उनके जाने के बाद राजनीति छोड़ देते और छोड़ देनी चाहिए थी. हम खुदगर्ज थे, इसलिए छोड़ नहीं सके.
आजम खान ने आगे कहा- ‘लोगों का दर्द आंखों में था, अधूरे काम जेहन में थे तो यह सोचकर कि इन अधूरे कामों को पूरा कर लें. शायद कोई मौका मिले. बस इस खुदगर्जी ने हमें बड़ा जलील किया.’ उन्होंने कहा कि नवाबों से लड़कर यहां आया हूं. नवाबों की मर्जी के बगैर यहां पत्ता नहीं हिलता था. रूलिंग भी वही थे. अपोजिशन भी वही थे. रामपुर के नवाब की रानी विक्टोरिया के बराबर कुर्सी पड़ती थी.
रामपुर शहर में एक मकान पक्का नहीं था: आजम खान
सपा नेता ने कहा- ‘सन 1980 में जब पहली बार मैं विधायक बना था. रामपुर शहर में एक मकान पक्का नहीं था, सिवाय उन चंद घरों के जिनकी रिश्तेदारियां नवाब से होती थीं. यहां खपरे थे और फूस के छप्पर थे. मैंने कुछ नहीं किया. लेकिन, मैंने लोगों के अंदर एक एक खुद्दार इंसान को, जो सोया हुआ था, उसे जगा दिया था. 250 वोट मिले थे. नवाब मेरे खिलाफ लड़े थे.’
वहीं फिर से चुनाव लड़ने के सवाल पर आजम खान ने कहा- ‘लड़ेंगे बिल्कुल लड़ेंगे, क्यों नहीं लड़ेंगे, अब गिरे हैं तो उठेंगे भी.’ उन्होंने कहा कि रामपुर ही क्यों? बहुत बड़ा देश है कहीं से भी लड़ लेंगे.
जया प्रदा का बिना नाम लिए आजम खान ने साधा निशाना
इसके अलावा रामपुर से टिकट के बंटवारे को लेकर उन्होंने कहा कि पार्टी बड़ी चीज होती है. पार्टी का फैसला माना गया. हमने न हिमायत की, न मुखालिफत की. जया प्रदा का बिना नाम लिए आजम खान ने कहा कि यहां से एक मोहतरमा और भी जीती थी, जिन्हें हम ही लेकर आए थे. जिताया भी था. दूसरी बार हमने उनका नहीं लड़ाया, फिर भी जीती थी, लेकिन ढाई लाख वोट से हमने ही हराया भी था.
उन्होंने आगे कहा कि कोई शख्स अपनी जीत को हमारी हार समझने की गलती न कर ले, यह जीत हालात के तहत जो हुई है, सिर्फ इसलिए कि मैं जेल में था, वो मेरी हमदर्दी की जीत है. इसे वे अपनी जीत ही न समझ ले, कोई इस गलतफहमी में ना रह जाए.
अखिलेश यादव को लेकर भी किया बड़ा खुलासा
साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव को लेकर भी बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा- ‘मैं चाहता था अखिलेश यादव लड़ें, उन्होंने मुझसे वादा भी
किया था, लेकिन पार्टी ने उन्हें यह मशवरा दिया कि आप वहां से न लड़ें और यह उनका बड़प्पन है कि अध्यक्ष होने के बावजूद, मुख्यमंत्री रहने के बावजूद, मुलायम सिंह यादव का बेटा होने के बावजूद, उन्होंने पार्टी की ख्वाहिश को माना, पार्टी के आदेश को माना, उन्होंने एक डिसिप्लिन वर्कर की तरह माना. मुझे उसकी कोई शिकायत नहीं है कि वो नहीं लड़े.’
मुझसे ज्यादा मुलायम सिंह यादव से किसी ने मोहब्बत नहीं की होगी: आजम खान
आजम खान ने कहा- ‘मैं कोई शिकायत थोड़ी कर रहा हूं. आज भी नहीं कर रहा हूं. पार्टी का फैसला था तो क्या मैंने पार्टी छोड़ दी थी? मैं तो पार्टी से निकाला जा चुका हूं. उसके बाद भी नहीं छोड़ी थी. घर बैठ गया था. तब भी मैं फाउंडर मेंबर था. आज भी हूं. जब मैं निकाला गया था, तब भी तो मैं फाउंडर था. मगर निकाला गया था. फिर लिया भी गया था. लेकिन, तब तो मुलायम सिंह यादव न, उन्हीं ने निकाला था तो कहां शिकायत है? मुझसे ज्यादा तो उनसे किसी ने मोहब्बत ही नहीं की होगी. मुझे निकालना उनकी मजबूरी थी. मुझे लेना उनकी मोहब्बत थी.’
उन्होंने कहा- ‘वो मुझे कितना चाहते हैं, ये तो वो बताएंगे. मुझे क्या मुकाम देते हैं? यह तो वो बताएंगे. आप मुझे कहां बैठाएंगे यह तो उनका फैसला होगा. मैं कैसे कहूं? मेरी इज्जत-एहतराम में भी उनकी तरफ से कोई कमी नहीं रही. मेरी इतनी इज्जत करते हैं कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी अपने से हाथ पकड़ कर आगे करते थे.’
मैं बहुत नाकारा और फिजूल का आदमी हो गया: आजम खान
सपा नेता ने कहा- ‘मेरी अपनी मजबूरियां हैं कि मैं बहुत नाकारा और फिजूल का आदमी हो गया, कमजोर हो गया, बीमार हो गया. लेकिन, मशवरा तो दे सकता हूं, लोगों को राह भी बता सकता हूं, रास्ता भी दिखा सकता हूं और अभी इतना भरोसा है कि लोग मेरी बात पर संजीदगी से गौर जरूर करेंगे, क्योंकि मैंने यह साबित कर दिया है कि मैं सही को गलत नहीं कहूंगा और गलत को सही नहीं.’
अखिलेश यादव से मिलने को लेकर उन्होंने कहा- ‘अभी तो 7-8 सालों से तो मैं बहुत दूर हूं. वैसे भी बहुत ज्यादा आना-जाना मेरा नहीं था. मैं बहुत महदूद जिंदगी गुजारने वाला व्यक्ति हूं, तो जैसा था, वैसा ही हूं. अगर ऐसे ही कोई मुझे कबूल कर ले तो उसका शुक्रिया. न करे उससे भी ज्यादा शुक्रिया. मुझे आजादी मिल जाएगी.’