India Longest Railway Platform: भारतीय ट्रेनें यात्रा करने का काफी उपयोगी और उचित साधन हैं. इसी वजह से हर दिन लाखों यात्री भारतीय ट्रेनों से सफ़र करते है. यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए. भारतीय रेलवे ने उनकी यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई नियम बनाए है. इसके अलावा भारतीय रेलवे देश में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी प्रदान कर रहा है.
भारतीय रेलवे स्टेशन (Indian Railway Station)
भारत सरकार रेलवे स्टेशन के कायाकल्प और ट्रेनों को आधुनिक बनाने की दिशा में भी काम कर रही है. इसी सिलसिले में देश भर के कई रेलवे स्टेशनों का नवीनीकरण किया जा रहा है. भारतीय ट्रेनों में सफर करते समय हम अक्सर कई स्टेशनों से गुज़रते है. इन यात्राओं के दौरान स्टेशनों पर कई लंबे लंबे प्लेटफॉर्म आते हैं जहां पर ट्रेन रुकती है.
क्या आप जानते हैं कि देश का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफ़ॉर्म कहां पर है? अगर नहीं तो आज हम आपको इस खबर के ज़रिए इसके बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानें.
भारत का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफ़ॉर्म (India’s longest railway platform)
- भारत का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफ़ॉर्म कर्नाटक के हुबली रेलवे स्टेशन पर है.
- यह रेलवे प्लेटफ़ॉर्म न केवल भारत का बल्कि दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफ़ॉर्म है.
- इसकी कुल लंबाई 1507 मीटर है. यह प्लेटफार्म लगभग 1.5 किलोमीटर लंबा है.
- इस रेलवे स्टेशन के निर्माण में लगभग 20.1 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
- यह रेलवे स्टेशन कर्नाटक के महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है.
- हुबली से पहले भारत का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफार्म गोरखपुर में था.
- हुबली रेलवे स्टेशन पर स्थित सबसे लंबे रेलवे प्लेटफार्म का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2023 में किया था.
- यह रेलवे प्लेटफार्म गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (The Guinness Book of World Records ) में भी दर्ज है.
- कर्नाटक में स्थित इस रेलवे स्टेशन का पूरा नाम सिद्धारुधा स्वामीजी हुबली स्टेशन है.
हुबली जंक्शन दुनिया भर में क्यों प्रसिद्ध है? (Why is Hubli Junction famous all over the world?)
हुबली जंक्शन दुनिया के सबसे लंबे रेलवे प्लेटफॉर्म का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रखने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. 1507 मीटर (4,944 फीट) लंबे इस प्लेटफार्म का अनावरण 2023 में स्टेशन के आधुनिकीकरण और यात्री अनुभव को बेहतर बनाने की परियोजना के हिस्से के रूप में किया गया था. जिसने इस इंजीनियरिंग उपलब्धि और रेलवे बुनियादी ढांचे पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है.