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What is Heart Failure: तेज़ रफ्तार से बदलती लाइफस्टाइल, बढ़ता तनाव और अनियमित खान-पान ने आज हृदय रोगों को आम और खतरनाक बना दिया है. इनमें से एक गंभीर समस्या है हार्ट फेल्योर (Heart Failure) या हृदय की क्षमता में कमी. पहले यह बीमारी आमतौर पर उम्रदराज लोगों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं. हार्ट फेल्योर तब होता है जब दिल अपने प्राकृतिक कार्य शरीर में ब्लड और ऑक्सीजन पहुंचाने को पूरी तरह से नहीं कर पाता.
कैसे होता है हार्ट फेल्योर (Heart Failure)?
हार्ट फेल्योर तब विकसित होता है जब दिल की मांसपेशियां पर्याप्त रूप से काम नहीं करतीं। यह दो तरह से हो सकता है:
- हार्ट की मांसपेशियां बहुत कमजोर होना – जिससे दिल पर्याप्त मात्रा में ब्लड पंप नहीं कर पाता.
- हार्ट की मांसपेशियां बहुत सख्त होना – जिससे दिल सही तरीके से फैल और सिकुड़ नहीं पाता.
इस प्रक्रिया में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तरल जमने लगता है, जिससे इसे कभी-कभी कन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर भी कहा जाता है. दिल का दायां हिस्सा फेफड़ों को ब्लड भेजता है और बायां हिस्सा ऑक्सीजन युक्त ब्लड को शरीर में पहुँचाता है. जब यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो सांस फूलना, थकान, पैरों और पेट में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
हार्ट फेल्योर का खतरा किन लोगों में ज्यादा होता है?
हार्ट फेल्योर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक है. इसके मुख्य कारण हैं:
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज
- उच्च रक्तचाप
- डायबिटीज
- मोटापा
- धूम्रपान
शुरुआती चरण में कई बार लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन धीरे-धीरे सांस लेने में कठिनाई, थकान, और शरीर में सूजन जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं.
हार्ट फेल्योर के बाद भी लंबे समय तक जीवन संभव
हार्ट फेल्योर का मतलब यह नहीं कि दिल रुक गया है. यह सिर्फ चेतावनी है कि अब दिल का ध्यान पहले से ज्यादा रखना जरूरी है. सही समय पर पहचान, उपचार और लाइफस्टाइल में बदलाव से मरीज कई सालों तक सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकता है.
हार्ट फेल्योर का इलाज
हार्ट फेल्योर का इलाज दो हिस्सों में किया जाता है:
दवाओं के माध्यम से इलाज
- बीटा ब्लॉकर: दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है.
- डाययूरेटिक: शरीर में जमा तरल को कम करता है.
- ACE इनहिबिटर: हार्ट पर दबाव कम करता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है.
लाइफस्टाइल और अन्य उपाय
- नियमित व्यायाम और सक्रिय जीवनशैली अपनाना.
- संतुलित आहार और नमक का सीमित सेवन.
- तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन और पर्याप्त नींद.
- गंभीर मामलों में हार्ट ट्रांसप्लांट या पेसमेकर की सलाह.