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Kartik Maas 2025: भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना — कार्तिक मास, तुलसी पूजन से मिलते हैं मनचाहे फल और दूर होती हैं वैवाहिक अड़चनें

Kartik Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और शुभ महीना माना गया है. इस माह को दामोदर मास भी कहा जाता है, जो भगवान श्री हरि विष्णु को विशेष रूप से प्रिय है. इस पूरे महीने में स्नान, दीपदान, भजन-कीर्तन और तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस पवित्र मास में तुलसी माता की सेवा करता है और भगवान श्री हरि की आराधना में लीन रहता है, उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं. इस वर्ष 8 अक्टूबर 2025, बुधवार से कार्तिक मास का शुभारंभ हो रहा है. आइए जानते हैं इस महीने का महत्व और तुलसी पूजन से जुड़ी विशेष मान्यताएं.

Written By: Pandit Shashishekhar Tripathi
Last Updated: October 7, 2025 15:54:27 IST

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और शुभ महीना माना गया है. इस माह को दामोदर मास भी कहा जाता है, जो भगवान श्री हरि विष्णु को विशेष रूप से प्रिय है. इस पूरे महीने में स्नान, दीपदान, भजन-कीर्तन और तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस पवित्र मास में तुलसी माता की सेवा करता है और भगवान श्री हरि की आराधना में लीन रहता है, उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं. इस वर्ष 8 अक्टूबर 2025, बुधवार से कार्तिक मास का शुभारंभ हो रहा है. आइए जानते हैं इस महीने का महत्व और तुलसी पूजन से जुड़ी विशेष मान्यताएं.

भगवान विष्णु का योगनिद्रा से जागरण

कथा के अनुसार, भगवान विष्णु सृष्टि का कार्य महादेव को सौंपकर चतुर्मास के दौरान योगनिद्रा में चले जाते हैं. चार महीनों तक शयन करने के बाद वे कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवउठनी एकादशी) के दिन जागते हैं. यही कारण है कि यह महीना धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है.

श्रीकृष्ण ने बताया कार्तिक मास का महत्व

महाभारत में श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है — “पौधों में मैं तुलसी हूं, मासों में कार्तिक मास, दिनों में एकादशी और तीर्थों में द्वारका मुझे प्रिय है.”
इसलिए जो व्यक्ति कार्तिक मास में प्रतिदिन तुलसी सेवा, दीपदान और विष्णु जाप करता है, उसे अनंत पुण्य प्राप्त होता है और उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं.

तुलसी और शालिग्राम विवाह का महत्व

देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी माता और भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का विवाह संपन्न होता है. जिन माता-पिता की कोई कन्या नहीं होती, वे इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह कराकर कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. यह धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना गया है.

तुलसी पूजन क्यों आवश्यक है

विष्णु प्रिय होने के कारण तुलसी माता को विष्णुप्रिया कहा जाता है. तुलसी पौधा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि औषधीय दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी माना गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक मास में तुलसी के मूल में सभी देवताओं का वास होता है. इस महीने जो व्यक्ति तुलसी दल से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे तुला दान के बराबर फल मिलता है. सुबह स्नान के बाद तुलसी के पास दीपक जलाना, जल चढ़ाना और भगवान विष्णु का नाम जप करना इस माह में अत्यंत शुभ माना गया है.

विवाह में विलंब हो तो करें तुलसी पूजन

जिन कन्याओं के विवाह में अड़चनें आ रही हैं या मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है, उन्हें कार्तिक मास में निष्ठापूर्वक तुलसी पूजन करना चाहिए. रविवार के दिन तुलसी दल न तोड़ें. तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता को लाल चुनरी और भगवान शालिग्राम को पीले वस्त्र अर्पित करें. दीपदान और नैवेद्य के साथ श्रद्धापूर्वक पूजा करने से शीघ्र विवाह का योग बनता है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है.

इस प्रकार, कार्तिक मास न केवल भक्ति का महीना है, बल्कि यह जीवन में समृद्धि, शांति और शुभता लाने वाला पावन काल भी है.

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