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Asaduddin Owaisi के Bihar Vidhansabha Chunav लड़ने से महागठबंधन पर क्या असर पड़ेगा? जानें

Bihar Assembly Election 2025: असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर लड़ने की योजना बनाई है, इसका असर महागठबंधन पर कितना पड़ेगा, आइए जानें.

Written By: shristi S
Last Updated: October 11, 2025 17:51:32 IST

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का एलान हो चुका है और इसके साथ ही NDA और महागठबंधन के बीच तीसरे मोर्चे की उभरने की संभावना है. यह पहल ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की ओर से की जा रही है, जिसकी कमान पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने खुद संभाली है. पार्टी ने शनिवार को घोषणा की कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. यह संख्या पिछले चुनावों में पार्टी द्वारा लड़ी गई सीटों की तुलना में पांच गुना अधिक है. इस एलान के बाद महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के लिए चुनावी खेल में चुनौती बढ़ सकती है, क्योंकि AIMIM के कदम से अल्पसंख्यक वोटों में बंटवारा होने की संभावना है.

कौन सा है AIMIM का मजबूत गढ़?

ओवैसी ने हाल ही में बिहार के पूर्वोत्तर हिस्से सीमांचल का दौरा किया, जो पार्टी का पारंपरिक गढ़ माना जाता है. सीमांचल में चार जिले आते हैं जिनमें कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया शामिल है. यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल आबादी और विकास के मुद्दों के कारण राजनीतिक दलों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है. ओवैसी ने सीमांचल में कई जनसभाएं कीं और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर नए राजनीतिक समीकरण पर चर्चा की. किशनगंज में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं बिहार में कई साथियों से मिलने और नई मित्रता करने के लिए उत्सुक हूं. राज्य की जनता को एक नया विकल्प चाहिए और हम वही बनने की कोशिश कर रहे हैं.

AIMIM का चुनावी प्रदर्शन

पार्टी ने 2015 में पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में भाग लिया. उस समय सीमांचल की छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए थे, लेकिन कोई जीत नहीं मिली, जिसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और सीमांचल की पांच सीटों पर जीत हासिल की. 

क्या है विशेषज्ञों की राय?

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी अब सिर्फ सीमांचल तक सीमित नहीं रहना चाहते. वे कई दलों से गठबंधन की बातचीत कर रहे हैं. जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं, वहां महागठबंधन के लिए चुनौती होगी, और जहां पिछड़ी जातियों की भूमिका अहम है, वहां राजग को कठिनाई हो सकती है. बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 17.7% है और राज्य की 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. इनमें से अधिकांश सीटें सीमांचल में ही हैं.

100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना

एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि हम बिहार चुनाव में तीसरा विकल्प पेश करने की कोशिश में हैं. हमारी योजना 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की है. हमने महागठबंधन के नेताओं को कुछ सीटों की मांग की थी, लेकिन कोई रुचि नहीं दिखाई.अब जनता इस पर अपना निर्णय देगी. पार्टी इस बार चुनाव में सामाजिक न्याय और अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दों पर जोर देगी और राजग व महागठबंधन दोनों को चुनौती देने की कोशिश करेगी.

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