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15 अक्टूबर को हर साल क्यों मनाया जाता है World Students Day? जानें कब हुई इसकी शुरूआत

World Students Day 2025: आज हम बात करेंगे कि 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरूआत कब हुई.

Written By: shristi S
Last Updated: October 15, 2025 11:37:00 IST

World Students Day Importance: हर साल 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस (World Students Day) मनाया जाता है. यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) को समर्पित है। डॉ. कलाम का जीवन सिर्फ विज्ञान और तकनीक तक सीमित नहीं था; वह छात्रों के प्रेरक और मार्गदर्शक भी थे. उनका प्रसिद्ध कथन था कि सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, बल्कि वो जो सोने नहीं देते.  आज भी हर छात्र के लिए प्रोत्साहन का स्रोत है.

विश्व छात्र दिवस क्यों मनाया जाता है?

डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षा समाज बदलने की सबसे ताकतवर शक्ति है. उन्होंने हमेशा कहा कि अगर छात्रों को सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो वे न केवल अपने जीवन बल्कि पूरे समाज और देश को बदल सकते हैं. इस दिन का मुख्य उद्देश्य छात्रों की प्रतिभा, मेहनत और नवाचार को सम्मानित करना है. साथ ही, यह दिन समाज और सरकार को यह याद दिलाने का भी माध्यम है कि शिक्षा हर किसी का अधिकार है और इसे हर स्तर पर सुलभ बनाना हमारा दायित्व है.

डॉ. कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे, लेकिन वे खुद को पहले शिक्षक मानते थे. मिसाइल मैन और वैज्ञानिक होने के साथ-साथ, उनका सबसे बड़ा योगदान छात्रों के लिए मेंटर के रूप में था. स्कूलों और कॉलेजों का दौरा कर वे छात्रों को साइंस, जीवन मूल्यों, आत्मविश्वास और समाज सेवा के बारे में प्रेरित करते थे. उनका मानना था कि हर छात्र के भीतर एक चेंजमेकर छिपा होता है, बस उसे सही दिशा और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है. उनकी आत्मकथा “Wings of Fire” में उनकी जीवन यात्रा और उनके जमीनी स्तर की सोच का स्पष्ट वर्णन है. उन्होंने हमेशा छात्रों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करने की प्रेरणा दी. यही वजह है कि उनका जन्मदिन अब विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

कब हुई विश्व छात्र दिवस की शुरुआत?

साल 2010 में, यूनाइटेड नेशंस (UN) ने डॉ. कलाम की 79वीं जयंती को विश्व छात्र दिवस घोषित किया. इसका कारण यह था कि डॉ. कलाम शिक्षा और युवा विकास के प्रतीक थे. तब से यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है. भारत में स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन स्पीच, निबंध प्रतियोगिता, विज्ञान प्रोजेक्ट्स और डॉ. कलाम की जीवनकथाओं को साझा करने के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षक समाज निर्माता होते हैं क्योंकि वे छात्रों को न केवल ज्ञान देते हैं बल्कि उन्हें कौशल और जीवन मूल्यों से भी लैस करते हैं. अपने पूरे जीवन में उन्होंने शिक्षा और छात्रों के लिए प्रतिबद्धता दिखाई, जिसके लिए उन्हें बाद में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

यह दिन केवल मनाने का नहीं, बल्कि एक्शन लेने का दिन भी है. छात्रों की उपलब्धियों और नवाचारों को पहचानना. शिक्षा से जुड़ी समस्याओं जैसे गरीबी और असमानता पर चर्चा करना. प्रत्येक छात्र को सही शिक्षा और अवसर प्रदान करने का संकल्प लेना. आज के डिजिटल और AI युग में, डॉ. कलाम की शिक्षाएं और भी प्रासंगिक हैं. उनका संदेश था कि फेलियर को फर्स्ट अटेम्प्ट इन लर्निंग मानो. यह दिन हमें याद दिलाता है कि बड़ा सोचो, मेहनत करो और समाज व दुनिया को बेहतर बनाओ. छात्रों के लिए यह एक प्रेरक मौका है कि वे अपने सपनों का पीछा करें और अपने भविष्य को आकार दें.

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