6 महीने पुराना विवाद बना बड़ा मुद्दा
यह विवाद कोई अचानक भड़की घटना नहीं, बल्कि छह महीने पुरानी बहस का परिणाम है. ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर वकीलों के दो गुटों में मतभेद शुरू हुआ था. एक पक्ष जहां प्रतिमा स्थापित करने का समर्थन कर रहा था, वहीं दूसरा धड़ा इसके सख्त खिलाफ था. इस मतभेद ने धीरे-धीरे अदालत परिसर से निकलकर सड़कों तक रूप ले लिया और राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के जुड़ने से मामला और गर्मा गया.
आपत्तिजनक टिप्पणी ने बढ़ाया तनाव
विवाद में तब और आग लगी जब बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. अंबेडकर के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी वायरल हो गई। इसके बाद समर्थक संगठनों—जिनमें भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी शामिल हैं ने 15 अक्टूबर को ग्वालियर में बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर सख्त कर दिया.
सोशल मीडिया पर भी निगरानी
संभावित प्रदर्शन और किसी भी अप्रिय घटना से बचाव के लिए 3 हजार स्थानीय पुलिसकर्मी और 800 बाहरी सुरक्षा बल शहर के कोने-कोने पर तैनात कर दिए गए हैं. बाजार, प्रमुख मार्गों और संवेदनशील इलाकों में विशेष चौकसी की जा रही है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी प्रशासन की पैनी नजर है अब तक 500 से अधिक भड़काऊ पोस्ट हटाई जा चुकी हैं और 100 से ज्यादा लोगों को नोटिस जारी किया गया है. सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की गई है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
सीमाओं पर भी हुई नाकेबंदी
सिर्फ शहर के भीतर ही नहीं, बल्कि इसकी सीमाओं पर भी पुलिस ने सख्त चौकसी बरती है. शिवपुरी, मुरैना, भिंड और झांसी की ओर से आने वाले सभी हाईवे मार्गों पर नाकेबंदी की गई है. हर वाहन और संदिग्ध व्यक्ति की गहन जांच की जा रही है ताकि किसी बाहरी उपद्रवी तत्व की घुसपैठ न हो सके.