ब्रह्माण्ड की सारी दिव्य शक्तियां हमारे आस-पास सदैव उपस्थित रहती हैं, बस जरूरत है तो उन्हें पहचानने की. दिव्य नौ ग्रहों और नक्षत्रों से निकलने वाली ऊर्जा व्यक्ति को व्यापक रुप से प्रभावित करती है. कई बार कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक न होने पर बनते हुए कार्यों का बिगड़ना, असफलता, वैवाहिक जीवन में मनमुटाव, पढ़ाई में रुकावट, गृह क्लेश, कार्यों में बाधा जैसी तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में ग्रहों को मजबूत करने के लिए ज्योतिष द्वारा रत्न पहने की सलाह दी जाती है. दरअसल रत्न अपने रंग और ऊर्जा के माध्यम से शरीर और मन पर प्रभाव डालते हैं, जिससे न केवल ग्रह मजबूत होते हैं बल्कि मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और भाग्य में उन्नति भी होती है. ज्योतिष शास्त्र में हरे एक ग्रह से संबंधित रत्नों के बारे में बताया गया है. रत्नों में हम लोग माणिक्य रत्न की बात करेंगे. आइए माणिक्य रत्न से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते है विस्तार से-
माणिक्य का है सूर्य से कनेक्शन
- कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न होने पर या सूर्य को प्रसन्न करने के लिए माणिक्य रत्न को धारण करने का सुझाव दिया जाता है.
- जिस तरह परिवार का मुखिया पिता होता है, ठीक उसी तरह ग्रहों के मुखिया सूर्यदेव है. माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है.
- परंतु कभी-कभी महंगे-महंगे माणिक्य धारण करने के बाद भी इसका फल नहीं मिलता है.
- क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है क्योंकि हम परिवार के एक बेहद अनमोल रिश्ते को नजरअंदाज कर देते हैं.
- माणिक्य रत्न धारण करने वाले के लिए पिता का रिश्ता अनमोल होता है. माणिक्य का सीधा रिश्ता पिता से होता है.
पिता के आशीर्वाद से होता है माणिक्य एक्टिवेट
- माणिक्य का मनोवांछित फल नहीं मिल रहा है तो अपने पिता से स्वयं के रिश्ते को देखें.
- माणिक्य को एक्टिवेट करने के लिए पिता के आशीर्वाद और प्रसन्नता की जरूरत पड़ती है.
- यदि माणिक्य धारण कर रखा है और पिता का सम्मान नहीं कर रहे हैं पिता की आज्ञा का पालन नहीं करते या पिता दुखी हैं, तो निश्चित जान लीजिए माणिक्य के फल में भयंकर कमी आ जाएगी.
सूर्यदेव प्रसन्न होकर देते हैं आशीर्वाद
- सूर्यदेव के आशीर्वाद प्राप्ति के लिए पिता की सेवा खूब करें.
- कम से कम 5 मिनट पिता के पैर अवश्य दबाएं.
- पिता की पीड़ा को आप हरेंगे तो सूर्य भगवान आपकी पीड़ा हरेंगे.
- सुबह घर से निकलते समय पिता के चरण स्पर्श करके निकलें, उनका आशीर्वाद कवच की तरह कार्य करेगा.
पिता की जरूरतों का रखना होगा ध्यान
- यदि आप जॉब और व्यापार की वजह से साथ नहीं रह पा रहे हैं तो प्रतिदिन पिता से फोन पर अवश्य बात करें.
- आज कल तो स्मार्ट फोन सबके हाथों में है पिता जी से वीडियो कॉल पर उनके दर्शन करते हुए उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ें.
- पिता की आवश्यकताओं को बिना कहे पूरा करें इससे पिता का आशीष सदा आपके साथ रहेगा.
जिनके नहीं है पिता, वे करें यह काम
यदि आपके पिता अब इस दुनिया में नहीं है तो आप उनकी एक मुस्कुराती हुई फोटो अपने घर के नैऋत्य यानी दक्षिण पश्चिम के कोने में लगाएं और सुबह उनको प्रणाम करके ही घर से निकलें.