अमेरिकी अधिकारी की स्पष्ट चेतावनी
सीआईए में 15 साल तक सेवा दे चुके जॉन किरियाको ने एक इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत के साथ युद्ध से उसे कुछ भी हासिल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि भारत को बार-बार उकसाने का कोई फायदा नहीं. पाकिस्तान किसी भी पारंपरिक युद्ध में भारत के सामने टिक नहीं सकता. किरियाको ने यह भी जोड़ा कि वह यहां परमाणु हथियारों की बात नहीं कर रहे, बल्कि सामान्य सैन्य संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान की कमजोरी की ओर इशारा कर रहे हैं.
2001 संसद हमले के बाद बढ़ा तनाव
किरियाको ने 2001 के भारतीय संसद हमले के बाद की स्थिति को याद करते हुए बताया कि उस समय CIA को भी लगने लगा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा युद्ध छिड़ सकता है. 2002 में ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान हालात इतने गंभीर हो गए थे कि अमेरिका ने इस्लामाबाद से अपने नागरिकों को बाहर निकालना शुरू कर दिया था. यह दक्षिण एशिया में युद्ध की सबसे नाजुक घड़ियों में से एक थी.
परमाणु हथियारों पर अमेरिकी नियंत्रण का दावा
किरियाको ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि 2002 के उस दौर में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अस्थायी रूप से अमेरिका के पेंटागन के पास था. उनके अनुसार, तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने खुद यह नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था. हालांकि इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन यह बात पाकिस्तान की नीतियों पर गहरा सवाल खड़ा करती है.
भारत के निर्णायक कदम
2016: उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक
2019: पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक
2025: पहलगाम हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’
इन कार्रवाइयों से भारत ने साफ संदेश दिया है कि अब वह सीमा पार आतंकवाद या परमाणु धमकियों के आगे नहीं झुकेगा. पाकिस्तान की युद्धविराम की गुहार भी इसी दबाव का परिणाम है.
अब्दुल कादिर खान को लेकर बड़ा खुलासा
किरियाको ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि अमेरिका के पास पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को समाप्त करने का मौका था. हम जानते थे कि वह कहां रहते हैं और उनकी दिनचर्या क्या है, उन्होंने कहा कि लेकिन सऊदी अरब के आग्रह पर हमने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वे एक्यू खान के साथ काम कर रहे थे. जॉन किरियाको वही अधिकारी हैं जिन्होंने 2007 में सीआईए के टॉर्चर प्रोग्राम का खुलासा किया था. इस साहसिक कदम के लिए उन्हें 23 महीने जेल में रहना पड़ा, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं.