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वाह रे सिस्टम की लापरवाही! Jharkhand में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को चढ़ाया HIV पॉजिटिव ब्लड, जानें कैसे हुआ खुलासा

Jharkhand Hospital HIV Case: झारखंड के सदर अस्पताल में सिस्टम की बड़ी लपारवाही देखने को मिली है, दरअसल थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को HIV पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया, जिससे राज्य में हड़कंप मच गया है.

Written By: shristi S
Last Updated: October 26, 2025 09:17:00 IST

Jharkhand Thalassemia Children HIV Infection: झारखंड के चाईबासा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला देने वाला एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को HIV पॉजिटिव खून चढ़ाए जाने की खबर से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है. जांच में अब तक पांच बच्चे HIV संक्रमित पाए गए हैं, जिससे न केवल अस्पताल प्रशासन बल्कि पूरा स्वास्थ्य विभाग सकते में है.

मामला कैसे सामने आया?

घटना की शुरुआत उस समय हुई जब चाईबासा के एक सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के पिता ने शुक्रवार को पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त (DC) से शिकायत की कि उनके बच्चे को सदर अस्पताल में एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया. पिता ने बताया कि 13 सितंबर को अस्पताल में बच्चे को खून चढ़ाया गया था और 18 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट आने पर बच्चे का एचआईवी पॉजिटिव पाया गया. जब उन्होंने खुद और अपनी पत्नी की जांच कराई तो दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई. इससे साफ हो गया कि संक्रमण अस्पताल में खून चढ़ाने के दौरान ही हुआ.

जांच का आदेश और हाईकोर्ट की सख्ती

इस गंभीर आरोप के बाद डीसी ने तुरंत जांच के आदेश दिए. वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया और रांची से एक विशेष जांच टीम को चाईबासा भेजा. शनिवार को रांची से पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सदर अस्पताल के ब्लड बैंक और एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर का निरीक्षण किया. जांच के दौरान टीम ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में पांच थैलेसीमिक बच्चे HIV पॉजिटिव पाए गए हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है.

अस्पताल में मचा अफरातफरी

इस खुलासे के बाद सदर अस्पताल में ब्लड चढ़वाने वाले मरीजों और उनके परिजनों में भय का माहौल बन गया है. कई लोगों ने ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और सुरक्षा मानकों की समीक्षा की मांग की है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ब्लड टेस्टिंग प्रोसेस, डोनेशन रिकॉर्ड्स और स्टोरेज सिस्टम की बारीकी से जांच शुरू कर दी है.

क्या है विशेषज्ञों की राय?

एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर के मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. निर्मल कुमार ने बताया कि अगर HIV संक्रमित बच्चे को समय पर और नियमित दवा दी जाए, तो उसे 15 वर्ष या उससे अधिक समय तक कोई गंभीर परेशानी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि HIV संक्रमण अब लाइलाज नहीं रहा. उचित इलाज, पौष्टिक भोजन और प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने से बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं.
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