Live
Search
Home > धर्म > क्या होती है कोसी जिसे Chhath Puja के संध्या अर्घ्य के दिन भरा जाता है? जानें इसका धार्मिक महत्व

क्या होती है कोसी जिसे Chhath Puja के संध्या अर्घ्य के दिन भरा जाता है? जानें इसका धार्मिक महत्व

Chhath Puja 2025: भारत का लोकप्रिय छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है, आज संध्या अर्घ्य के  दिन जानें की आज के दिन कोसी क्यो भरी जाती है और इसका महत्व क्या है, जानें.

Written By: shristi S
Last Updated: October 27, 2025 11:37:56 IST

Chhath Puja 2025 Sandhya Arghya: भारत की लोक आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व  छठ महापर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति और मानव के सामंजस्य का उत्सव भी माना जाता है. आज, 27 अक्टूबर को छठ का तीसरा दिन, अर्थात् संध्या अर्घ्य का पावन अवसर है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर श्रद्धालु सूर्यदेव और छठी मैया से अपने परिवार के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं.

 संध्या अर्घ्य का दिन

छठ के पहले दो दिन नहाय-खाय और खरना की विधियों के साथ बीतते हैं. बीते दिन 26 अक्टूबर को खरना का व्रत संपन्न हुआ, जिसके बाद व्रतियों ने गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ किया. अब तीसरे दिन, व्रती संध्या के समय घाटों पर पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस अनुष्ठान के साथ ही ‘कोसी भरने’ की पवित्र परंपरा निभाई जाती है.

 कोसी क्या है?

छठ पूजा की विशेष रस्मों में से एक  कोसी भरना इस पर्व की आत्मा मानी जाती है. इसमें गन्नों से एक छतरीनुमा मंडप बनाया जाता है, जिसके केंद्र में मिट्टी का हाथी और कलश स्थापित किया जाता है. इस मंडप के भीतर पूजा की सामग्री, प्रसाद और दीपक रखे जाते हैं. कोसी भरने का आयोजन संध्या अर्घ्य के अवसर पर किया जाता है, जब पूरा परिवार एकत्र होकर इस अनुष्ठान को संपन्न करता है.

 कोसी क्यों भरी जाती है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोसी भरना आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक है. जब किसी भक्त की मनोकामना पूरी होती है चाहे वह संतान प्राप्ति हो, रोगमुक्ति हो या किसी संकट से छुटकारा तब वह छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कोसी भरता है. यह परंपरा परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और दीर्घायु की कामना से भी जुड़ी है. यह मान्यता भी प्रचलित है कि कोसी भरने से जीवन में अंधकार दूर होता है और घर-परिवार में प्रकाश, स्वास्थ्य और सौभाग्य का वास होता है.

कोसी का धार्मिक महत्व

कोसी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परिवारिक एकता का प्रतीक है. गन्नों से बने घेरे को परिवार के चारों ओर बना सुरक्षा कवच माना जाता है. वहीं, गन्ने की छतरी छठी मैया के संरक्षण और आशीर्वाद का संकेत देती है. इस विधि के माध्यम से महिलाएं अपनी आस्था, समर्पण और परिवार के प्रति प्रेम व्यक्त करती हैं. कोसी की रोशनी परिवार में फैले सुख, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक बन जाती है.

कोसी भरने की विधि 

1. सबसे पहले एक सूप या टोकरी को स्वच्छ करके सुंदर रूप से सजाया जाता है.

2. इसके चारों ओर 5 या 7 गन्ने खड़े किए जाते हैं, जिन्हें जोड़कर छतरीनुमा मंडप तैयार किया जाता है.
3. यह संरचना पंचतत्वों जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक मानी जाती है.
4. टोकरी के अंदर मिट्टी का हाथी रखा जाता है, जिस पर सिंदूर लगाया जाता है और उसके ऊपर एक कलश (घड़ा) स्थापित किया जाता है.
5. घड़े में ठेकुआ, फल, मूली, अदरक और अन्य प्रसाद रखे जाते हैं.
6. हाथी और कलश के चारों ओर 12 दीपक जलाए जाते हैं जो 12 मास और 24 घड़ी (दिन-रात के चक्र) का प्रतीक हैं.
7. दीपक जलने के बाद व्रती परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं और छठी मैया से कृपा की याचना करते हैं.

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?